सफ़ेद बौने तारे क्या होते हैं – what is white dwarf in hindi

सफ़ेद बौना (White Dwarf in hindi) कम द्रव्यमान (mass) वाले तारों के शव होते हैं।

अगर आपको नहीं पता कि कम mass वाले तारे क्या होते हैं तो

आपको बताते चले कि जिन तारों के mass हमारे सूर्य से 0.08से 8 गुना तक होता हैं.

वो तारे कम mass वाले तारे माने जाते हैं।

अरबों अरबों साल तक चमकने के बाद white dwarf तारे black dwarf बनकर नष्ट होते हैं।

चलिए आपको थोड़ा और आसान शब्दों में बताते है।

आप जानते हैं कि इस दुनिया में जो भी चीज पैदा हुआ है,

यह कहिए इस ब्रह्मांड में जो चीज पैदा हुआ है। उसका अंत एक ना एक दिन होना तय है।

ठीक उसी तरह ब्रह्मांड में जन्मे इन तारों का अंत भी एक ना एक दिन तो निश्चित ही है।

लेकिन इन तारों की मृत्यु एक अलग ही ढंग से होती है।

कम mass के तारे की मृत्यु अलग तरीके से, और एक अधिक mass वाले तारे की मृत्यु अलग तरीके से होती है।

जब एक कम mass वाला तारा मरता है या उसका अंत होता है तो.

उसके ऊपर के सारे लेयर सुपरनोवा एक्सप्लोजन (supernova explosion) में नष्ट हो,

बाहर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। जिसे planetary nebula कहते हैं.

और पीछे छोड़ जाते हैं यह बहुत ही चमकीला सफेद सा गोला जो कि बहुत ही ज्यादा घनत्व वाला होता है।

और यह गोला हजारों अरबो साल तक जीता है। इसी गोले को ही हम white dwarf या सफ़ेद बौना कहते हैं।

कैसे अस्तित्व में आते हैं सफ़ेद बौना (white dwarf in hindi) :-

आपको पता होना चाहिए कि अलग अलग द्रव्यमान (mass) तारों की मृत्यु अलग अलग प्रकार से होती हैं।

एक ज्यादा mass वाले तारे की मृत्यु black hole बनकर होती हैं।

मध्यम mass वाले तारे की मृत्यु neutron star बनकर होती हैं।

छोटे mass वाले तारे की मृत्यु सफ़ेद बौना (white dwarf) बनकर होती हैं।

और हमें बात करनी हैं white dwarf in hindi की तो चलिए जानते हैं ….

ऐसे अस्तित्व में आते हैं सफ़ेद बौने –

किसी तारे के कोर में मौजूद मज़बूत gravity के कारण कोर का तापमान और दबाव बहुत ही ज्यादा रहता हैं।

जिसके कारण कोर में हाइड्रोजन के अणु संलयित (fuse) होकर हीलियम बनाते हैं

और हीलियम फ्यूज होकर कार्बन, और ये क्रिया आगे चलती रहती हैं।

इसी nuclear fusion के कारण तारे के कोर से बाहर की ओर लगने force और कोर के gravitational force के कारण

अंदर की ओर लगने वाले force के कारण ये तारे संतुलन में रहता हैं।

जब बाहर की ओर लगने वाला force ज्यादा होता हैं तब तारे फैलते हैं।

जब अंदर की ओर लगने वाला force ज्यादा होता हैं तब तारे सिकुड़ते हैं।

fusion के क्रम में एक समय ऐसा आता हैं, जब तारों के कोर में fusion की क्रिया बंद हो जाती हैं।

छोटे mass के तारे में इतना mass नहीं होता कि वो लगातार मटेरियल को फ्यूज कर कर के आगे भारी मटेरियल बना सके।

छोटे mass के तारे आगे भारी मटेरियल नहीं बना पाते और उनमे fusion की क्रिया बंद हो जाती हैं।

जब उनमे fusion की क्रिया बंद होती हैं तब कोर के बाहर की लेयर में हीलियम burn होना शुरू हो जाता हैं।

कोर के बाहर कि लेयर shock wave के साथ अन्तरिक्ष में फ़ैल जाता हैं। जिसे thermal pulse कहते हैं।

और पीछे छोड़ जाता हैं एक सफेद गोल, चमकीला और ब्रह्मांड की गर्म चीज़ों में से एक सफ़ेद बौना (white dwarf temperature).

white dwarf

द्रव्यमान में सूर्य से 1.4 गुना होते हैं ये सफ़ेद बौने –

ये white dwarf (सफ़ेद बौना)आकार में मात्र पृथ्वी के आकार जितने बड़े होते हैं.

और electron degeneracy pressure के कारण और अधिक नहीं सिकुड़ पाता।

भले ही ये सफ़ेद बौने आकार में बहुत छोटे हैं, पर ये बहुत ही dense होते हैं।

1 teaspoon white dwarf मटेरियल में हजारों kg मटेरियल होता हैं। ये white dwarf mass में सूर्य से 1.4 गुना होते हैं।

तो कैसे पहचाने सफ़ेद बौने (white dwarf in hindi) को

अब प्रश्न यह उठता है कि इस सफेद बौने तारे को हम मनुष्य अंतरिक्ष में आखिर पहचान कैसे सकते हैं ?

चलिए आपको यह भी बताते चलें कि इस तारे को पहचानने का आखिर तरीका क्या है ?

इन सफेद बौने तारे को ढूंढने का एक तरीका यह है कि एक ऐसे तारीख को ढूंढा जाए.

जो अस्पष्ट रूप से आगे पीछे की ओर गति कर रहा हो जो कि एक कैंपेनियन स्टार का चक्कर लगाता है.

अगर किसी कारणवश कोई कैंपेनियन स्टार नहीं दिख रहा है,

तो ऐसा संभव है कि कैंपेनियन स्टार की जगह पर ब्लैक होल हो.

मनुष्य इतना एडवांस हो चुका है कि वह टेलिस्कोप के जरिए.

एक मध्यम आकार के white dwarf को अंतरिक्ष में आसानी से देख सकता है.

हमारे सौरमंडल के पास एक नजदीक का तारा serius जो कि हमारे रात के आसमान में सबसे ज्यादा चमकीला तारा है.

उसके पास भी एक सफेद बौना तारा (white dwarf in hindi) मौजूद है.

जिसे serius B के नाम से जाना जाता है.

इन सफेद बौनों तारों को ढूंढने का एक और तरीका है.

ह यह है कि जब इन तारों के कोर में फ्यूजन की क्रिया बंद हो जाती है,

तो इन तारों के कोर के ऊपर वाले लेयर में फ्यूजन की क्रिया चलती रहती है.

जिससे हिलियम सेल फ्लैश (helium shell flash) कहते हैं.

इससे होता यह है कि यह जलते हुए हीलियम एक थर्मल पल्स (thermal pulse) के साथ,

जब किसी छोटे मास के तारे के बाहरी लेयर को अंतरिक्ष में बाहर की ओर फैला देता है,

जिसे प्लेनेटरी नेब्युला कहते हैं, तो यह अंत में पीछे छोड़ जाता है एक सफेद गोला

जिसे कहते हैं व्हाइट ड्वार्फ। तो अगर हम इस planetary nebula को अंतरिक्ष में कहीं ढूंढ लेंगे तो,

हम इसके केंद्र में एक वाइट ड्वार्फ को ढूंढ सकते हैं.

कैसे जीते हैं अरबों साल तक ये सफ़ेद बौने –

इन सफ़ेद बौनों (white dwarfs facts) में energy इतना ज्यादा densely packed होता हैं.

कि इससे उर्जा इसके बाहरी लेयर से धीरे धीरे रेडिएशन के रूप में निकलता हैं.

इसीलिए ये सफ़ेद बौने अरबों अरबों साल तक जीते हैं।

ये white dwarf (सफ़ेद बौना) धीरे धीरे उर्जा को क्षय करते हुए बिल्कुल absolute zero temperature.

यानी ब्रह्माण्ड में मौजूद सबसे कम तापमान तक पहुँच कर एक black dwarf बनकर नष्ट होते हैं।

ब्रह्मांड इतना पुराना नहीं कि कोई सफ़ेद बौना black dwarf बन सके –

चूंकि ये सफ़ेद बौने (white dwarf in hindi) अरबों अरबों साल तक जीवित रहते हैं,

और ब्रह्माण्ड मात्र 13.8 अरब साल तक ही पुराना हैं।

इसीलिए अभी तक कोई भी सफ़ेद बौने black dwarf नही बन पाया हैं।

जो तारे very low mass star होते हैं, वो आगे हीलियम फ्यूज नहीं कर पाते हैं और shrink होकर white dwarf बन जाते हैं।

यहाँ मैं आपको बता दूं कि हमारा सूर्य भी एक दिन सफ़ेद बौना बनकर ही मरेगा।

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