earth in hindi- पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ, एक ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर केवल आपको पृथ्वी कैसे बनी के बारे में ही नहीं बताएगा.
बल्कि काफी हद तक आपको सौरमंडल के निर्माण के बारे में भी बताएगा।
इतना ही नहीं आपको अपने सौरमंडल के बाकी और भी ग्रह और bodies के निर्माण के बारे में भी
आपको जानकारी केवल पृथ्वी के निर्माण के बारे में जानने से ही पता चल जाएगा।
तो चलिए आज हम यह जानते हैं कि अपनी पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ (how earth was born) .
लेकिन उससे पहले थोड़ा सा जान लेते हैं, हम अपने ग्रह पृथ्वी के बारे में.
हमारी पृथ्वी सूर्य से क्रम में तीसरे नंबर पर आती है.
और हमारी पृथ्वी ही सौरमंडल का एक मात्र ऐसा ग्रह है, जहां पर जीवन संभव है. हमारी पृथ्वी एक स्थलीय ग्रह है.
अगर आपको नहीं पता है कि स्थलीय ग्रह क्या होता है तो आपको बताते चलें कि जो ग्रह पत्थर चट्टान मिनिरल्स आदि से मिलकर बने होते हैं.
यानी जो ग्रह ठोस होते हैं उन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है.
जैसे हमारा मंगल ग्रह, बुध ग्रह, शुक्र ग्रह और हमारी पृथ्वी. ठीक उसी तरह कुछ गैसीय ग्रह भी होते हैं.
जो अधिकतम गैस से बने होते हैं, जैसे वृहस्पति, अरुण, वरुण. हमारी पृथ्वी सौरमंडल के सबसे ज्यादा घनत्व वाली ग्रह है.
हमारे पृथ्वी का घनत्व है 5.514 g/cm3. इसके साथ ही पृथ्वी 6,371 किलोमीटर के साथ सौरमंडल का सबसे बड़ा स्थलीय ग्रह है.
तो चलिए इतना जानने के बाद जानते हैं अपने पृथ्वी कैसे पैदा हुई (earth formation) के बारे में.
सौरमंडल के निर्माण के साथ ही शुरू हुआ पृथ्वी का निर्माण (earth formation in hindi) :-
हमारा ब्रह्माण्ड तो 13.8 अरब साल पुराना हैं. लेकिन हमारे पृथ्वी और उसी के साथ ही हमारे सौरमंडल का निर्माण ब्रह्माण्ड के बनने के बहुत बाद में शुरू हुआ.
आज से 4.6 अरब साल पहले धूलकण और गैस के ठंडे बादल जिससे निहारिका (Nebula) कहते हैं।
आपस में gravitationally collapse यानी गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस में जुड़ कर,
इसी Solar Nebula के बीच में सूर्य का निर्माण करते हैं।
बिल्कुल उसी तरह जैसे किसी तारे की उत्पत्ति होती है।
Solar Nebula के बीच में सूर्य के निर्माण के बाद बचे हुए निहारिकाओं के कण सूर्य के चारों ओर घूमते हुए एक डिस्क का निर्माण कर लेते हैं।
इस डिस्क में घूमते हुए छोटे छोटे पार्टिकल ग्रेविटी के कारण आपस में जुड़कर बड़े पार्टिकल बनाने लगते हैं।
लेकिन अभी भी कुछ हल्के और बेहद छोटे एलिमेंट जैसे हाइड्रोजन और हीलियम सूर्य के पास वाले क्षेत्र में स्थित रहते हैं।
solar nebula के बीच में बनी सूर्य द्वारा Solar wind यानी सौर हवा के कारण यह हल्के एलिमेंट सूर्य से थोड़ा दूर चले जाते हैं।
पर ये हल्के एलिमेंट सूर्य से बहुत ज्यादा दूर नहीं गए।
ये इतना ही दूर गए जितने में इनके ऊपर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल लग रहा था और सूर्य के पास बचते हैं थोड़े भारी और बड़े मटेरियल।
भारी material ने किया निर्माण स्थलीय ग्रह का
यह बड़े मटेरियल आपस में ग्रेविटी द्वारा जुड़ना शुरू हो जाते हैं।
जो एलिमेंट्स बहुत ज्यादा भारी होते हैं वह सबसे पहले आपस में जुड़ कर
terrestrial planets यानी स्थलीय ग्रह का कोर (core) बनाते हैं।
terrestrial planet जैसे शुक्र, पृथ्वी (earth in hindi), मंगल, बुध।
जब इन terrestrial planet के कोर बन जाते हैं.
फिर इस कोर के ऊपर, कोर के मटेरियल से कम भारी के मटेरियल कोर के ऊपर,
ग्रेविटी के कारण आपस में जुड़ते चले जाते हैं।
भारी मटेरियल कोर की तरफ जाते रहते हैं, और हल्के मटेरियल ऊपर आते रहते हैं।
और बना लेते हैं crust की लेयर। और इस प्रकार 4 बड़े स्थलीय गोल पिंडो का निर्माण होता हैं।
नये नये बने सौरमंडल में छोटे-छोटे पार्टिकल्स इन चार बड़े पिंडो से टकराते गए और बन गए बुध, शुक्र, earth, और मंगल जैसे स्थलीय ग्रह।
लेकिन यहां हम धरती के जन्म की बात करेंगे।
इसलिए बाकी के ग्रह की उत्पत्ति की बात हम नहीं करते हैं। सीधे पृथ्वी पर ही आते हैं।
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बहुत ही विशेष क्षेत्र में स्थित हैं पृथ्वी (earth in hindi) :-
अब यहां तक आप पृथ्वी के ढांचे के निर्माण को तो समझ ही गए होंगे।
निरंतर पिंडों के टकराव के बाद एक समय ऐसा आया जब धरती से मटेरियल का टकराव बंद हो गया।
नई-नई बनी earth काफी गर्म थी। धीरे-धीरे समय बीतने के साथ पृथ्वी ठंडी होनी शुरू हो गई।
पृथ्वी ने ग्रेविटी से कुछ गैसेस को अपनी ओर आकर्षित कर धरती के बाहरी लेयर का निर्माण किया।
पृथ्वी के क्रस्ट (crust) के नीचे mantle (मैन्टल) की लेयर में टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव और घर्षण से बड़े बड़े पहाड़ और ज्वालामुखियों का निर्माण हुआ।
और इन्हीं ज्वालामुखी से निकलने वाले गैस ने पृथ्वी के वातावरण को बनाया।
पृथ्वी (earth in hindi) से टकराने वाले ठंडे जमी हुई बर्फ के पिंड और चट्टान ने पृथ्वी की सतह पर पानी के अस्तित्व को लाया।
जो कि सौरमंडल के बाहर से आए थे। लेकिन पृथ्वी की सूर्य से दूरी वाला क्षेत्र बेहद विशेष क्षेत्र रहा।
जहां heat इतनी संतुलित मात्रा में था.
जिससे कि पानी न तो बर्फ की अवस्था में रहा और ना ही भाप की अवस्था में, बल्कि liquid state में रहा।
इस विशेष क्षेत्र को जहां पृथ्वी स्थित है उसे Goldilocks zone या habitable zone कहते हैं।
पृथ्वी के इसी विशेष क्षेत्र में होने कारण ही पृथ्वी पर पानी का होना संभव हो पाया.
और यही पानी पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत भी किया.
पृथ्वी से टकराया था एक ग्रह :-
ऐसा माना जाता है कि शुरुआती दिनों में पृथ्वी से मंगल के आकार का एक ग्रह टकराया था।
जिसका नाम thiea (थिया) था।
थिया और पृथ्वी के टकराव से अंतरिक्ष में गए मलबे के इकट्ठा होने से चंद्रमा का निर्माण हुआ।
और इसी टकराव से धरती अपने अक्ष पर 23.4 डिग्री तक झुक गया।
जिससे पृथ्वी पर मौसम में बदलाव आना शुरू हुआ।
तो कुछ ऐसी परिकल्पना की गई है पृथ्वी के निर्माण (earth in hindi) के बारे में।
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ऐसे बने थे गैस दानव :-
शुरुआत में मैंने आपको बताया था कि सौर हवा द्वारा कुछ हल्के मटेरियल सूर्य से बहा लिए गए.
और इन्हीं हल्के और गैसियस मटेरियल के इकट्ठा होने से,
गैस दानव (gas giant) या जोवियन प्लैनेट्स (jovian planet) जैसे बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून जैसे प्लैनेट्स का निर्माण हुआ।
ज्यादा जानकारी के लिए जाइये इस पेज पर – earth’s formation
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aapne ye post kafi acchi liki he muze es tarki bate janne me kafi ruchi he me aajse aapke har naye post ka wait karuga
thancks
Agr Nebula mein gravitational force tha to usse keval sun kyon nhi bna baki grah kyon bane..