why earth is blue – आपने कभी यह सोचा है कि अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर पृथ्वी हमें नीली क्यों दिखाई देती है।
मैं जानता हूं आपने कभी न कभी यह सोचा होगा और आपको इसका जवाब मिला होगा कि
पृथ्वी का दो तिहाई भाग समुद्र का है इसलिए हमें पृथ्वी नीली दिखाई देती है।
लेकिन क्या इतनी सी बात आपको इस प्रश्न का उत्तर देती है। नहीं…. नहीं देती है।
पर आज यह आर्टिकल पढ़कर आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
तो चलिए यह जानना शुरु करते है…
सूर्य की किरण फ़ैल कर करती हैं कमाल (prithvi nila kyu hai):-
यह जानने के लिए सबसे पहले हमें पृथ्वी पर सूर्य से आने वाली किरणों को जाना पड़ेगा और उन किरणों को फैलाव को भी समझना पड़ेगा।
जैसा कि आप जानते होंगे कि सूर्य की किरणें सात रंगों से मिलकर बनी हुई है वह रंग है बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
इनमें से छोटी तरंगदैर्ध्य (wavelength) किरणों का फैलाव वातावरण में ज्यादा होता है
जैसे बैंगनी, नीला, आसमानी। वही बड़ी तरंगदैर्ध्य (wavelength) किरणों का वातावरण में फैलाव कम होता है,
जैसे लाल नारंगी पीला। अब आप यहां तक सूर्य की किरणों को समझ गए होंगे।
हमारा प्रश्न है कि पृथ्वी अंतरिक्ष से हमें नीली क्यों दिखाई देती है। (why earth is blue)
अब ध्यान दीजिए सूर्य की किरणें जब पृथ्वी के वातावरण में आते हैं .
तब पृथ्वी के वातावरण में मौजूद छोटे कण सूर्य की किरणों को सात रंगों में बांटकर वातावरण में फैला देते हैं।
यानी सूर्य की किरणें इन कणों से टकराकर वातावरण में फैल जाते हैं।
पृथ्वी के वातावरण में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, और बाकी के 1% में बाकी के गैस हैं।
जो कि बहुत ही छोटे पार्टिकल्स हैं और यह सनलाइट को फैलाने में बहुत ज्यादा मदद करते हैं।
तो इस प्रकार सूर्य की किरणें सात रंगों में बांट कर वातावरण में फैल जाती है।
पानी परिवर्तित करता हैं नीला रंग (why earth is blue):-
अब आप यह जानते होंगे कि पृथ्वी का 71% भाग पानी से ढका हुआ है और पानी का रंग यानी कलर रंगहीन होता है।
लेकिन वाटर की एक प्रॉपर्टी होती है कि वह बड़ी तरंग दैर्ध्य की किरणों को समाहित कर लेता है
जैसे लाल नारंगी पीला रंग की प्रकाश किरणें और नीली प्रकाश की किरणों को रिफ्लेक्ट करता है।
पर यहां ध्यान रहे कि पानी अगर गंदा होगा यानी उस में कीचड़ या काई जैसी चीजें लगी होंगी तो उसके कलर रिफ्लेक्शन में अंतर हो सकता है।
नीली प्रकाश की किरणों का रिफ्लेक्शन केवल साफ पानी में ही होता है। (why earth is blue)
समुद्र इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। अब जब हम पृथ्वी को अंतरिक्ष देखते हैं तो जैसा कि हम जानते हैं कि 70% भाग पृथ्वी का समुद्र से ढका हुआ है।
और समुद्र नीली प्रकाश की किरणों को रिफ़्लेक्ट करता है। इसलिए जहां जहां पृथ्वी पर समुद्र है वहां हमें नीला रंग दिखाई देता है।

नीले के आलावा और भी रंग हैं पृथ्वी में (why earth is blue) :-
पृथ्वी पर जहां जहां जमीन है वहां हमें ग्रीन कलर जो कि पेड़ पौधों के हरी लाइट की रिफ्लेक्शन की वजह से होता है।
और जहां रेगिस्तान है वहां भूरे रंग और बादलों की वजह से कहीं कहीं सफेद रंग नजर आते हैं।
ध्रुवों के पास बर्फ की चादर की वजह से वहां पर भी सफेद रंग ही दिखाई देता है।
लेकिन कुल मिलाकर समुद्र की विशालकायता और फैलाव की वजह से earth हमे अंतरिक्ष से नीली दिखाई देती है।
और इसीलिए पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते हैं। (why earth is blue)
अरुण और वरुण भी हैं नीले रंग के :-
हमारे सौरमंडल में दो और ग्रह वरुण यानी नेपच्यून और अरुण यानी यूरेनस भी ऐसे ही ग्रह है,
जो नीले रंग के दिखाई देते हैं।
नेपच्यून पर मीथेन गैस ज्यादा मात्रा में है जो लाल रंग के प्रकाश की किरणों को समाहित कर लेता है. (why earth is blue)
और नीले रंग की किरणों को रिफ्लेक्ट करता है इसलिए वरुण नीले रंग का दिखाई देता है।
वही अरुण यानी यूरेनस के भी बाहरी वातावरण में मीथेन गैस है जो नीले रंग के प्रकाश की किरणों को रिफ्लेक्ट करता है,
इसलिए हमें नीले रंग का दिखाई देता है।
यही जानकारी विडियो के रूप में लेने के लिए ये विडियो देखिये –