blood pressure क्या होता है – blood pressure in hindi

blood pressure in hindi – जैसा कि मैंने आपको अपने पिछले के कई post में यह बात बता रखा है कि हमारा हृदय काम कैसे करता है। जब नीचे के यह ventricles सिकुड़ते हैं, तो इस aorta से ब्लड पूरे शरीर में पंप होकर शरीर भर में फैल जाता है। और जब हृदय से ब्लड पंप होकर पूरे शरीर भर में फैलता है, तो दरअसल यही पंप हुआ ब्लड हमारे aorta और बाकी के ब्लड वेसल्स के वॉल पर एक pressure भी लगाता है, एक फोर्स जिसके वजह से ब्लड वेसल्स की wall पर थोड़ा दबाव पड़ता है, इसे ही कहते हैं हमारे ब्लड वेसल्स का ब्लड प्रेशर (blood pressure kya hota hai)…

हृदय का काम –

देखिए जब हमारा हृदय धड़कता है यानी जब हमारा सिकुड़ता है, तो इसे मेडिकल की भाषा में हमारे हृदय का सिस्टोल कहते हैं। हमारा ऊपर का ये चेंबर होता है atrium, वह भी सिकुड़ता है, इसे अट्रियम सिस्टोल कहते हैं। और जब नीचे का यह ventricle सिकुड़ता है तो इसे ventricle systole कहते हैं। जब नीचे का ये वेंट्रिकल रिलैक्स हो जाते हैं, जब इन में खून भर जाता है और यह भरा हुआ वेंट्रिकल सिकुड़ कर पंप होने के लिए तैयार हो जाता है। तब इस तरीके से ventricle के रिलैक्स होने को डायस्टोल कहते हैं।

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (blood pressure kya hota hai)-

देखिए जब नीचे का यह ventricle सिकुड़ कर aorta में ब्लड भरता है, यानी ventricle systole, तो यह aorta के वॉल पर एक प्रेशर भी जनरेट करता है, जिसे हमारे ब्लड vessels का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं, और यह जो सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर होता है, यह नॉर्मल 120 mm hg जितना होता है।

120 से 140 तक बढ़े सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को एलिवेटेड ब्लड प्रेशर कहते हैं। और 140 से ज्यादा सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन कहते हैं।

डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (blood pressure in hindi)-

ठीक उसी तरह जब हमारा ventricle रिलैक्स होता है और रिलैक्स होकर अपने अंदर ब्लड भर लेता है। तब इसे हमारे ventricle का डायस्टोल कहते हैं। और यही डायस्टोल धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर में कमी लाता है और यही लोअर ब्लड प्रेशर नॉर्मली 90 mm hg जितना होता है। अगर ये 90  से नीचे या इससे ऊपर होने पर ब्लड प्रेशर में अनियमितता देखी जाती हैं। इसे हमारे ब्लड प्रेशर का डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। 120 से ज्यादा डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर एक इमरजेंसी होती है।

ब्लड प्रेशर को नापने वाली मशीन को sphygmomanometer कहते हैं, कुछ इस तरीके से यह दिखाई देता है.

ब्लड प्रेशर का रेगुलेशन –

और हमारे शरीर में यह ब्लड प्रेशर का रेगुलेशन दो प्रकार से होता है, एक है शॉर्ट टर्म रेगुलेशन और दूसरा है लोंग टर्म रेगुलेशन.

शॉर्ट टर्म रेगुलेशन –

देखिये सबसे पहले बात कर लेता है शॉर्ट टर्म रेगुलेशन की… शॉर्ट टर्म रेगुलेशन में क्या होता है, दो रिसेप्टर्स हमारे ब्लड प्रेशर के उच्चता या निम्नता को कंट्रोल करते हैं। एक होता है barroreceptor और दूसरा होता है chemoreceptor.

देखिये सबसे पहले barroreceptor के बारे में जानते हैं। यह barrowreceptor जैसा कि इसका नाम है, barro मतलब pressure होता है। यह हमारे हृदय से निकलने वाली aorta, जहां से पूरे शरीर भर में रक्त फैलता है। ठीक उसके arch पर मौजूद होते हैं और यहां पर carotid sinus इस जगह को carotid sinus कहते हैं, वहां पर भी यह baroreceptor मौजूद होते हैं. यह क्या करते हैं यह हमारे ब्लड वेसल्स में बह रहे खून के प्रेशर को डिटेक्ट करते हैं। अगर प्रेशर बहुत ज्यादा होता है तो यह सिग्नल भेज देते हैं हमारे ब्रेन के मेडुला में मौजूद कार्डियोवैस्कुलर सेंटर को, जोकि एक्टिवेट होकर हमारे शरीर में पैरा सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को ऑन कर के ब्लड प्रेशर को नीचे ले आता है। और जब यह डिटेक्ट करता है कि ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया है, तो सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को ऑन करके ब्लड प्रेशर को दोबारा से नॉर्मल ले आता है। (blood pressure kya hota hai)

ठीक उसी तरह दूसरा रिसेप्टर जो शॉर्ट टर्म ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है, वह होता है chemoreceptor, जैसा इसका नाम है कीमो का मतलब केमिकल से है, यह हमारे ब्लड में पीएच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को detect करके ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है। जब यह देखता है कि ब्लड में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है यानी कार्बन डाइऑक्साइड का प्रेशर बहुत बढ़ गया है, ब्लड में… तो यह पैरासिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को ऑन करके ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है।

लोंग टर्म रेगुलेशन –

और long term ब्लड प्रेशर रेगुलेशन में आता है, RAAS system renin-angiotensin-aldosteron system, जिसमें शामिल होता है हमारा लिवर किडनी और हमारा ब्रेन। चलिए जानते हैं कैसे…

देखिए जब हम बहुत ज्यादा पानी पी लेते हैं, हमारे ब्लड में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। मतलब ब्लड का वॉल्यूम बढ़ जाता है, तो जैसे ही ब्लड हमारे atrium में आता है। atrium में कुछ  लो प्रेशर receptors होते हैं, जो इस pressure को sense करके, यह सिग्नल भेजते हैं किडनी को।

किडनी का adrenal cortex renin नाम के एक एंजाइम को रिलीज करता है। जोकि लीवर में बन रहे angiotensinogen को कन्वर्ट कर देता है angiotensin 1, फिर इसी adrenal cortex और lung से एक और enzyme निकलता है, ACE, जो कि इसे angiotensin 2 में कन्वर्ट कर देता है। अब यह angiotensin 2 जाकर stimulate कर देता है, किडनी को यानि किडनी के ऊपर एड्रेनल कोरटेक्स को, जो aldosteron हारमोंस रिलीज करता है। और वही यह एंजियोटेंशिन टू हाइपोथैलेमस को भी स्टिम्युलेट करता है, anti diuretic hormone यानी वेसोप्रोसिन हार्मोन रिलीज करने को. (blood pressure in hindi)

blood pressure in hindi

Aldosterone हमारे शरीर में सोडियम और वोटर के रिटेंशन को बढ़ाता है। वही वेसोप्रोसिन हार्मोन शरीर में वाटर को absorb करने का काम करता है। इस कारण से हमारे शरीर में ब्लड प्रेशर increase हो जाता है। ठीक उसी तरह angiotensin 2 ब्लड वेसल्स को constrict भी करता है। और सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को ऑन भी कर देता है, जिससे हमारा ब्लड प्रेशर नार्मल बना रहता है।

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