आज हमारे पृथ्वी पर पानी है, समुद्र के रूप में, जो हमारे प्लानेट पर जीवन को लाता है। यही समुद्र का पानी भाप बनकर बादल बनता है और पूरे पृथ्वी भर में बारिश करके, हमें अच्छा-अच्छा फसल देता है, नदियों में पानी के जल स्तर को बढ़ाता है, जमीन के नीचे जो पानी है वह सब इसी समुद्र के जल चक्र के कारण सही होता है। अगर यह ना होना तो 110% जीवन इंपॉसिबल हो जाएगा..
पर जो चीज हमारे लिए इतनी ज्यादा इंपॉर्टेंट है, उसके बारे में अब तक हम क्यों नहीं जाना है कि यह बना कैसे है, कैसे पृथ्वी पर इतना ज्यादा पानी आया और समुद्र का निर्माण किया, न जाने इस समुद्र के कारण इस दुनिया में क्या-क्या हो रहा है, कितना ज्यादा ट्रेड हो रहा है, और कितना लड़ाई भी हो रहा है। चलिए इसलिए आज आपको बताते हैं कि पृथ्वी पर समुद्र का निर्माण कैसे हुआ…
आज से 450 करोड़ साल पहले हमारी पृथ्वी का निर्माण हो रहा था, उसी समय हमारे सौरमंडल का निर्माण हो रहा था, जाहिर सी बात है जब सौरमंडल का निर्माण होगा तभी तुम्हारे पृथ्वी का निर्माण होगा। जब पृथ्वी का निर्माण हो रहा था उस समय पृथ्वी बिल्कुल उबलते हुए, खोलते हुए पिघले हुए लावा का एक गोला हुआ करता था। जहां पृथ्वी के चारों ओर केवल और केवल पिघले हुए लावा तरल रूप में बहते रहते थे। पृथ्वी पर ऐसी कोई भी जगह नहीं थी, ऐसा कोई भी surface नहीं था, जो पानी को होल्ड कर सके। पृथ्वी तो बस अभी नई नई फॉर्म ही हुई थी।
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कुछ करोड़ साल बिता ही था, पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडा होना शुरू हुई थी कि तभी पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखी जो कि जमीन में बहुत ही अंदर तक कनेक्ट थे, यानी जो बिल्कुल पृथ्वी के आउटर कोर और मेंटल तक जुड़े हुए थे, वह ज्वालामुखी अब बहुत ही बुरी तरीके से, मानो शेर की गर्जना की तरह फटना शुरू होगा। जब यह ज्वालामुखी erupt हो रहे थे,
तब यह पृथ्वी के गर्भ में से बहुत सारे मटेरियल, मेटल्स, बहुत सारी गैसेज़ जैसे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन जैसी कई सारी गैसों को अपने साथ बाहर निकाल रहे थे। समय के साथ साथ जब यह ज्वालामुखी की शांत हो गए और अब पृथ्वी के गर्भ में से सारी की सारी गैसों को बाहर उड़ेल दिए तब पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होने लगी और यह बाहर निकली हुई गैस अब बादल का रूप लेने लगी।
यही बादल धीरे-धीरे कंडेंस होकर पृथ्वी पर बरसने लगे और बरसने लगे। जब यह बरसात शुरू हुई तो हजारों हजारों साल तक लगातार पृथ्वी पर बारिश होती जा रही थी, बहुत ही बुरी तरीके से। प्रलय रूप वाली यह बारिश, इतना तेज मूसलाधार बारिश करवाई कि पृथ्वी के low lying area जो ऊंचे स्थानों से reletevely नीचे थे, वह पानी से भर गए थे।
उस समय पृथ्वी पर अब पानी आ चुका था, लेकिन वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि जब पृथ्वी पर यह बादल बरस कर पानी ला चुके थे, उस समय पृथ्वी पर अभी के समय में मौजूद पानी का केवल 50% पानी ही बरसात के रूप में हुआ था।
बाकी का 50% पानी पृथ्वी पर अंतरिक्ष में से आया, कैसे??? देखिए आज से लगभग 4.5 से 4 अरब साल पहले पृथ्वी पर meteor का bombardment हुआ, पृथ्वी पर ही नहीं हुआ बल्कि हमारे पृथ्वी के चंद्रमा पर भी meteor के bombardment हुए। यह meteor पानी को अपने saath ice के रूप में लिए हुए थे। इन meteor के ऊपर बर्फ बिल्कुल चिपका हुआ था।
जब यह पृथ्वी से टकराने लगे, हजारों साल तक की प्रोसेस चला, तब पृथ्वी पर meteor के यह बर्फ अब पानी के रूप में आ चुके थे। क्योंकि पृथ्वी goldilock zone में है, जहां पर सूर्य का तापमान इतना बैलेंस है कि ना तो यहां बहुत ज्यादा गर्मी है और ना ही यहां बहुत ज्यादा ठंडी है। इसलिए बर्फ पिघलने लगे और पृथ्वी पर बाकी का 50% समुद्र अब आ चुका था।
पर वैज्ञानिकों को कैसे पता चला कि यह meteor पृथ्वी से टकराकर पृथ्वी पर बाकी का 50% समुद्र का पानी लाया है। देखिये वैज्ञानिकों ने 2005 में अंतरिक्ष के एक meteor पर जिस पर बर्फ जमी हुई थी, उसे एक स्पेसक्राफ्ट से टक्कर करवाई, जैसे यह स्पेसक्राफ्ट इस meteor से टकराया। 2,50,000 टन से भी ज्यादा पानी अंतरिक्ष में ही फैल गया।
इससे वैज्ञानिकों ने अपने इस बात पर मुहर लगा दिया कि पृथ्वी पर पानी का एक source पृथ्वी पर meteor का टकराना भी है। और इस तरह पृथ्वी पर आज हमारा प्यारा समुद्र आ गया, जो कि पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जीवन लिए हुए हैं, जमीन पर रहने वाले जीवो से भी ज्यादा जी तो समुद्र में रहते हैं।