किसे कहते हैं ज्वालामुखी –
volcano in hindi – ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। इसके नीचे पिघले हुए लावा का भंडार होता है।
जब पृथ्वी के कोर से convection current के कारण से पिघले हुए धातु जमीन के नीचे से ऊपर की ओर दबाव बढ़तें है
तो यह पहाड़ ऊपर से फटता है और ज्वालामुखी कहलाता है।
ज्वालामुखी के नीचे पिघले हुए पत्थरों और गैसों के मिश्रण को मैग्मा कहते हैं.
किसी ज्वालामुखी के फटने पर जब यह मैग्मा बाहर निकलता है तो वह लावा कहलाता है.
ज्वालामुखी के फटने से बड़ी मात्रा में गैस और पत्थर ऊपर की ओर निकलते हैं।
इस कारण से जहां ज्वालामुखी के फटने से लावा बहता है तो साथ ही गर्म राख भी हवा के साथ बाहर आती है।
और इन ज्वालामुखी से निकलने वाली राख में छोटे छोटे कण होते हैं जिनसे क्षति पहुंच सकती है.
इसके अलावा बच्चों और बुजुर्गों को सांस के द्वारा फेंफड़ों को इनसे खासा नुकसान पहुंच सकता है.
कैसे और क्यों फटता हैं ज्वालामुखी (volcano in hindi)
दरअसल पृथ्वी के नीचे कोर और मेंटल की लेयर में जब कभी किसी स्थान पर प्रेशर कम हो जाता है
तो यह गर्म लावे अधिक तापमान हो जाने के कारण से फैलने लगते हैं और ऊपर क्रस्ट की लेयर को फाड़कर जमीन में से बाहर आने लगते हैं
और यह गर्म लावे बाहर निकल कर एक पाइल बना लेते हैं, जिसे हम ज्वालामुखी कहते हैं।

कितने प्रकार के होते हैं ज्वालामुखी (volcano in hindi)
सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं
१. सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी
अगर कोई ज्वालामुखी वर्तमान में फट रहा हो, या उसके जल्द ही फटने की आशंका हो,
या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न हों तो उसे सक्रिय माना जाता है।
संसार के कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी (name of active volcanoes) हैं
हवाई द्वीप का मौना लोआ (Mauna Loa), सिसली का एटना (Mount Etna)
और स्ट्राम्बोली (Stromboli volcano), इटली का विसुवियस (Italy’s Vesuvius).
२. मृत ज्वालामुखी
यह वे ज्वालामुखी होते हैं जिनके बारे में अपेक्षा है कि वे फटेंगे नहीं।
इनके बारे में यह अनुमान लगाया जाता है कि इनके अन्दर लावा व मैग्मा ख़त्म हो चुका है
और अब इनमें उगलने की गर्मी व सामग्री बची ही नहीं है।
अगर किसी ज्वालामुखी के कभी भी विस्फोटक प्रकार की सक्रियता की कोई भी घटना होने की स्मृति नहीं हो तो अक्सर उसे मृत समझा जाता है।
माउंट की (mount kea), माउंट अरारत (mount ararat) इसके उदहारण हैं.
३. प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी
कोई ज्वालामुखी कभी भी इतिहास में बहुत पहले फटा हो तो उसे सुप्त ही माना जाता है
लेकिन मृत नहीं।
बहुत से ऐसे ज्वालामुखी हैं जिन्हें फटने के बाद एक और विस्फोट के लिये दबाव बनाने में लाखों साल गुज़र जाते हैं – इन्हें उस दौरान सुप्त माना जाता है।
मसलन तोबा ज्वालामुखी (volcano in hindi), जिसके विस्फोट में आज से लगभग 70,000 वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप के सभी मानव मारे गये थे
और पूरी मनुष्य जाति ही विलुप्ति की कगार पर आ पहुँची थी, हर 3,80,000 वर्षों में
पुनर्विस्फोट के लिये तौयार होता है। तामु मस्सिफ (tamu massif) इसका एक उदहारण हैं.
दुनिया भर में 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं. इनमें से आधे से ज्यादा ‘रिंग ऑफ फायर‘ का हिस्सा हैं.