giant wheel in hindi – क्या आप कभी बड़े वाले झूले पर बैठे हैं, वह जो बड़ा सा होता है,
एक पहिया सा बना होता है.
भारत में अधिकतम, मेला के समय आपने उस बड़े वाले झूले को देखा होगा.
जो लोग कभी इस झूले पर बैठे होंगे, उन्हें इस बात का एहसास होगा कि
इस झूले पर बैठने से कितना अजीब सा फीलिंग होता है.
जब यह झूला ऊपर से नीचे आता है तो कुछ बुरी तरीके से डर जाते हैं
और कुछ बहुत ही एक्साइटेड हो जाते हैं.
इस झूले को जायंट व्हील (Giant Wheel in hindi) या फेरिस व्हील (Ferris Wheel in hindi) कहते हैं.
यह झूला तो इस तरह के एडवेंचर का मात्र ट्रेलर है. रोलर कोस्टर,
स्लिंगशॉट जैसे झूले का नाम सुनते ही लोग ठंडे पड़ जाते हैं.
ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो इस तरह के झूले पर बैठे ही डर जाते हैं और
कुछ बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हो जाते हैं.
लेकिन ऐसा क्यों होता है, इसका कारण क्या है ? चलिए आज हम यह जान लेते हैं…
जानना होगा थोडा सा विज्ञान (giant Wheel in hindi)
इसके लिए पहले हमें थोड़ा सा विज्ञान जानना होगा.
हम जानते हैं कि हम अपने शरीर का भार महसूस कर पाते हैं ग्रेविटी के कारण
लेकिन हम जनरली ग्रेविटी पुल को महसूस नहीं कर पाते.
जहां पर हम बैठे हैं या जहां पर हम खड़े हैं.
उस जगह द्वारा हम पर लगने वाला रिएक्शन फोर्स यानी ग्रेविटी के अगेंस्ट जो फोर्स लगता है.
वही हम डिटेक्ट कर पाते हैं.
ये होता हैं इस झूले (giant Wheel in hindi) पर
अब देखिए वह बड़े वाले झूले पर हमारे साथ क्या होता है.
जब यह झूला ऊपर से नीचे आता है तब ये झूला उस समय मोशन में होता है,
कंटीन्यूअस वेलोसिटी चेंज के साथ यानी इसमें एक्सीलरेशन होता है.
होता यह है कि ऊपर से नीचे आते वक्त हमारा झूले से या कहिए झूले की सीट से
हमारा कांटेक्ट कुछ समय के लिए खत्म हो जाता है,
जिससे होता यह है कि सीट के द्वारा ऊपर की ओर लगने वाला रिएक्शन फोर्स जो हम पर लगता है,
वह भी हम पर नहीं लगता है. उस समय हम पर केवल ग्रेविटी का फ़ोर्स ही लगता है
और हमें फ्री फॉल का एक्सपीरियंस होता है.

फ्री फॉल का अनुभव होता हैं
फ्री फॉल का एक्सपीरियंस वही अनुभव होता है जो एक एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में
पृथ्वी की ग्रेविटी के द्वारा स्पेस में लगता है. (ferris wheel in hindi)
फ्री फॉल में आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी ऊंचाई से नीचे गिर रहे हो.
अब यही फ्री फॉल की फीलिंग हमें डर, अजीब सी फीलिंग, उत्तेजना
जैसे अनुभव को महसूस करवाता है और हमें बहुत ही हल्का सा महसूस होता है,
जैसे हमारा वजन ही ना हो. इसे अपेरेंट वेट (apparent weight) यानी आभासी भार कहा जाता है.
दरअसल फ्री फॉल के समय, हमारा दिमाग स्वयं को संकट में समझता है
और खुद को संकट से बचाने के लिए दिमाग में तरह-तरह के रिएक्शन होने लगते हैं.
जिसे फाइट और फ्लाइट (fight or flight) रिस्पांस कहते हैं.
कमाल करते हैं होर्मोन्स
इस समय दिमाग एड्रीनलिन नाम के हार्मोन को रिलीज करता है जो कि दिल के धड़कन को तेज कर देता है,
पूरे शरीर में खून का बहुत तेज और ज्यादा होने लगता है. और इस झूले (giant Wheel in hindi) के केस में
तो लगातार दिल की धड़कन तेज और कम होती ही रहती है.
इसी तरह एक और हार्मोन endorphins शरीर में बहने लगता है
जो आपको बहुत ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करवाता है,
जैसे एक स्पोर्ट्स मैन को फीलिंग होती है, ठीक वैसा ही.
यही हारमोंस के कारण रोलर कोस्टर और इस तरह के झूले पर बैठे व्यक्ति बहुत ज्यादा उत्तेजना और फन फील करते हैं.
लेकिन इसमें लगातार दिल की धड़कन कम और तेज होती ही रहती है जो कि बहुत से लोगों को आरामदायक नहीं लगता.
यही वह कारण है जो कुछ लोग झूले (giant Wheel in hindi) पर राइड करके डर जाते हैं.
उनके लिए यह एक सजा होती है. उस बड़े वाले झूले में जब झूला नीचे से ऊपर की तरफ जाता है,
तब तो व्यक्ति नॉर्मल ही फील करता है क्योंकि उस समय व्यक्ति पर रिएक्शन फोर्स लगता है.
जानकारी विडियो से लीजिये
ferris wheel ki jaankari wikipedia
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