हृदय कैसे धड़कता हैं – how heart beats hindi

क्या आपको पता है कि हमारा ह्रदय बिना किसी सहायता के, मतलब बिना मस्तिष्क के हस्तक्षेप के खुद से ही धड़कता रहता है कहने का मतलब हृदय कैसे धड़कता हैं (hriday kaise dhadakta hai)। हां हमारे ब्रेन से ही निकलने वाली दसवीं क्रेनियल नर्व्स vagus nerve, हमारे ह्रदय की धड़कने की गति को रेगुलेट कर सकता है, मतलब दिल की धड़कनें में तेजी या धीमापन ला सकता है. पर उसे जनरेट नहीं कर सकता, इसीलिए तो दिल हमारे शरीर का सबसे रहस्यमई और सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट organ है. अब आपके मन में तुरंत ही इस बात की जिज्ञासा जाग आ हो गई कि हमारा हृदय आखिर अपने आप धड़कता कैसे हैं, जो पूरे शरीर को भी संचालित करता है। चलिए आज इस post में हम यही जानते हैं…

हृदय के कितने भाग होते हैं –

आपको यह पता ही होगा कि हमारा हृदय 3 layers से मिलकर बना हुआ होता है। बाहर का पेरिकार्डियम, बीच का मायोकार्डियम और सबसे अंदरूनी वाला भाग एंडोकार्डियम कहलाता है। बीच वाला myocardium सबसे मोटी लेयर होती है, और उसी से हृदय बना होता है। यह मसल की layer होती है।

herat layers in hindi

लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इसी मसल वाली layer में कुछ सेल्स ऐसी होती हैं, जो कि स्पेशलाइज्ड सेल होती हैं। यह मॉडिफाइड कार्डियोमायोसाइट होती हैं। जो कि हृदय में अपने आप ही इलेक्ट्रिक इंपल्सेस generate करते हैं, जिससे हृदय का कंडक्शन सिस्टम automatically ही ऑपरेट होता है। हृदय को किसी की जरूरत नहीं है, बहुत ही स्पेशल सेल होती हैं ये, चलिये इनके के बारे में जानते हैं…

दिल कैसे धड़कता हैं (Dil kaise dhadakta hai) –

देखिए हमारे हृदय में कंडक्शन सिस्टम के जो पार्ट्स है, यानी जो स्पेशल सेल की मै बात कर रहा हूं, उनसे जो स्ट्रक्चर फॉर्म हो रहा है, एक बार उसके बारे में जान लेते हैं। देखिए heart का सबसे इंपॉर्टेंट पार्ट जहां से इलेक्ट्रिक impulses जनरेट होती है, वह है यहां से यह सिनोएट्रियल नोड यानी SA Node. ये sinoatrial node ही हमारे ह्रदय का पेसमेकर सेल कहलाती है।

सबसे पहले यहीं से इलेक्ट्रिक इंपल्सेस जनरेट होती है, और इसी node से कुछ फाइबर्स निकले होते हैं, जो कि पूरे atrium वाले रीजन पर जाकर फैल जाते हैं। ऊपर के जो दो chamber दिख रहे हैं, इसे atrium कहते हैं। और इसी sinoatrial node से एक और फाइबर निकलता है, जो कि जाता है, इस Av node की तरफ, जिसे atrioventricular node कहते हैं। जब इलेक्ट्रिक इंपल्सेस जनरेट होकर sa node से av node पर आती है, तो 0.1 सेकंड के लिए थोड़ा delay हो जाती है। जिसके वजह से इलेक्ट्रिक इंपल्सेस जनरेट होकर atrium को कॉन्ट्रैक्ट कर सकें।

देखिए फिर इसी av node से कुछ फाइबर्स निकले हुए होते हैं जिसे bundle of his कहते हैं. यही bundle of his दो लेफ्ट और राइट बंडल ब्रांच में विभक्त हो जाती है. Ventricles के वॉल की तरफ और फिर यही लेफ्ट और राइट बंडल ब्रांच से ही कुछ फाइबर  निकलते हैं, जिन्हें पुर्किंजे फाइबर्स कहते हैं. यह सभी चीजें जो मैंने आपको बताई है यहीं से इलेक्ट्रिकल इंपल्सेस पूरे heart में फैलती हैं. जिसकी वजह से हार्ड कॉन्ट्रैक्ट हो पाता है, यानी वह धड़क पाता है, अब यह कैसे होता है, यही हमें जानना है की इलेक्ट्रिकल impulses की शुरुआत sa node यानी साइनोएट्रियल नोड में होती कैसे है।

purkinje fibers

मनुष्य का हृदय कैसे धड़कता है –

देखिए SA Node स्ट्रक्चर के सेल मेंब्रेन के अंदर पॉजिटिव आयन की संख्या शुरुआत में कम होती है, और इसके सेल मेंब्रेन के बाहर पॉजिटिव आयन की संख्या ज्यादा होती है। इसीलिए सेल के अंदर वोल्टेज नेगेटिव रहता है। और शुरुआत में इस स्थिति को हमारे sinoatrial node का रेस्टिंग पोटेंशियल कहते हैं। इस समय जब सेल के अंदर ज्यादा पॉजिटिव ions नहीं हैं। तो इस समय सेल के अंदर -60 मिली वोल्ट का वोल्टेज होता है।

देखिए क्या होता है cell के अंदर सोडियम आयन प्रवेश करने लगते हैं, सेल मेंब्रेन पर मौजूद सोडियम चैनल के थ्रू. जैसे ही सोडियम सेल के अंदर आता है सेल के अंदर वोल्टेज अपने थ्रेसोल्ड लेवल पर आ जाता है, – 40 वोल्ट पर. जैसे ही थ्रेसोल्ड लेवल पर वोल्टेज आता है तुरंत ही सेल मेंब्रेन के कैलशियम चैनल खुल जाते हैं और अब कैल्शियम आयन का इनफ्लक्स बहुत ही तेजी से सेल के अंदर होने लगता है. जिससे cell अब पॉजिटिव वोल्टेज का हो जाता है. लगभग 10 mv तक।

हृदय की संरचना कैसी होती हैं – anatomy of heart hindi

इस तरीके से सेल के अंदर आए ions के influx को डिपोलराइजेशन कहते हैं, और जैसे ही सेल के अंदर पॉजिटिव वोल्टेज हुआ, पोटेशियम चैनल्स खुल जाते हैं और अब पोटैशियम सेल के बाहर जाकर दोबारा से सेल के अंदर नेगेटिव वोल्टेज बना देते हैं। इस प्रोसेस को रिपोलराइजेशन कहते हैं। इस तरीके से सेल के अंदर बाहर वोल्टेज ions के इनफ्लक्स और आउट फ्लक्स के वजह से sinoatrial node के अंदर एक एक्शन पोटेंशियल जनरेट होता है। ध्यान रहे यह सब अभी sinoatrial node यानी पेसमेकर सेल के अंदर ही हो रहा है।

इसी सेल के अंदर मौजूद जो बाकी के कैल्शियम और सोडियम आयन से बचे हुए थे, वह अब बगल के normal contractile मायोकार्डियम सेल के अंदर ट्रांसफर हो जाते हैं। इससे पहले जब यह बगल वाले adjacent सेल से सोडियम और कैल्शियम आयांश नहीं आए होते तो यह नॉर्मल मायोकार्डियम सेल का वोल्टेज – 90 मिली वोल्ट होता है। जैसे ही यह सोडियम कैल्शियम आयांश अब इस पेसमेकर सेल से इस में आते हैं। इन मायो कार्डियम सेल्स का वोल्टेज अब thresold लेवल पर पहुंच जाता है यानी – 70 mv पर।

और जैसे ही cell thresold लेवल पर पहुंचा सोडियम चैनल खुल जाते है और कई सारे सोडियम आयन सेल मेंब्रेन के अंदर आ जाते है और एक sharp rise होता है सेल मेंब्रेन के वोल्टेज में, जो कि अब जीरो मिली वोल्ट तक पहुंच जाता है, और ठीक इसी समय लो कैलशियम चैनल भी ओपन हो जाता है, जिससे कुछ कैल्शियम ion cell मेंब्रेन के अंदर आकर सेल को इनको पॉजिटिवली वोल्टेज में ले आते हैं।

देखिए फिर जैसे ही मेंब्रेन में 0 वोल्टेज होता है ठीक उसी समय potassium चैनल से पोटेशियम थोड़ा बाहर निकलते हैं, सेल मेंब्रेन से। जिससे सेल के अंदर वोल्टेज में थोड़ा गिरावट आती है, और जैसे ही voltage में थोड़ा गिरावट हुई, यह जो नॉर्मल myocardium सेल होते हैं, इसमें कैल्शियम का influx बढ़ जाता है।

देखिये इन सेल मेम्ब्रेन के बाहर कैल्शियम आयांश की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती है। लेकिन यह जो नार्मल हार्ट के मायोकार्डियम सेल होते हैं, इनमें सार्कोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम की एक संरचना होती है, जिसके अंदर बहुत सारा कैल्शियम स्टोर रहता है। इसी का प्रयोग करके बहुत सारे calcium ions का influx दोबारा से इस सेल में होता है। और इसी वजह से ही heart कॉन्ट्रैक्ट करता है।

एक्शन पोटेंशियल के ग्राफ में इस समय अब एक pletaue बनता है और अब दोबारा से जब कैल्शियम के इनफ्लक्स से heart के cell में कॉन्ट्रक्शन होता है, एक बार ये धड़क जाता है, तब तुरंत ही पोटेशियम चैनल खुलते हैं, पोटेशियम सेल मेंब्रेन के बाहर जाकर दोबारा से सेल को नेगेटिव बना देते हैं। और इस सेल के अंदर जो पहले से सोडियम और कैल्शियम रहता है, वह अब बगल के सेल में ट्रांसफर हो जाता है, और यह क्रिया चलती रहती है और हृदय धड़कता रहता है।

हृदय के कार्य –

देखिए हमारा heart 1 मिनट में लगभग 60 से 100 बार धड़कता है, depend on person और औसतन माना जाता है कि हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है. इस हिसाब से देखें तो एक beat हार्ट की .8 सेकंड की होती है.

0.1 सेकंड में atrium कॉन्ट्रैक्ट होता है, उसके बाद Sa node से AV Node तक इंपल्सेस को जाने में 0.1 सेकंड लगता है. उसके बाद यहां से यही इंपल्स पूरे बंडल ऑफ हिज और पुर्किंजे फाइबर में जाकर फैल जाता है। और 0.2 सेकेंड के अंदर ventricles भी अब सिकुड़ कर यानी कॉन्ट्रैक्ट होकर ब्लड को पूरे शरीर में फैला देता है। मतलब 0.4 सेकंड में पूरा ह्रदय धड़क जाता है. और एक बार heart ब्लड को पंप कर देता है। फिर बाकी का 0.4 सेकंड हृदय resting स्टेज में होता है। ताकि वह दोबारा से धड़कने के लिए एनर्जी इकट्ठा कर सके।

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