information about sun in hindi -सूर्य हमारा अपना तारा है। हमारे दुनिया में जितनी भी उर्जा है, उन सब का मूल कारण हमारा सूर्य ही है।
सूर्य ही है हमारे लिए सब कुछ, जो देता है हमें ऊर्जा।
सूर्य से हमारी पृथ्वी की दूरी (distance between earth and sun in km).
लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है और 15 करोड़ किलोमीटर दूर होने के बाद भी.
हमारे पृथ्वी पर सूर्य का तापमान गर्मियों के दिनों में कितना ज्यादा चला जाता है, यह कोई बताने वाली बात नहीं है।
आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं। सूर्य की रोशनी और तापमान सौरमंडल में कितना दूर तक फैला हुआ है.
यानी सूरज अपने बाहर के वातावरण को काफी ऊर्जावान बना रखा है।
आखिर क्या कारण है कि सूरज के बाहर का वातावरण (sun atmosphere) इतना जबरदस्त बना रहता है,
चलिए जानते हैं सूरज का वातावरण की जानकारी हिंदी में (information about sun in hindi)…..
सूरज का वातावरण (sun atmosphere in hindi)
Photosphere –
शुरुआत करेंगे सूरज के ठीक बाहर वाली सतह के ऊपर वाले वातावरण से जो कि यह photosphere, photosphere सूर्य की सतह से 400 किलोमीटर तक की मोटी परत होती है।
photosphere की सबसे निचली परत जो कि सूर्य की सतह से लगा हुआ होता है।
वह 6000 डिग्री तक गर्म होता है और सबसे ऊपर की परत का तापमान (sun temperature) लगभग 3700 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है।
photosphere को हिंदी में प्रकाश मंडल कहते हैं।
सूर्य ही नहीं किसी भी तारे का photosphere वह बाहरी खोल है,
जिससे प्रकाश बाहर की ओर निकलता है। ये सूरज का वातावरण का पहला परत हैं।
सूरज का यह प्रकाश मंडल पर बहुत ही ज्यादा ब्राइट बबलिंग ग्रानुअल्स जो कि प्लाज्मा के होते हैं.
पर बहुत ही गहरे और ठंडे सन स्पॉट को देखा जा सकता है.
जो कि तब दिखते हैं जब सूरज के अंदरूनी भाग से मैग्नेटिक फील्ड सूरज के बाहरी सतह से बाहर की ओर निकलता है.
और इसी बात का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने यह बताया था.
कि सूरज (sun in hindi) भी अपने अक्ष पर घूमता रहता है.
अब चुकी सूरज एक गैस का बना हुआ गोला है ना की एक सॉलिड बॉल की तरह.
इसलिए सूरज के अलग-अलग क्षेत्र अलग अलग दर से घूमते रहते हैं
सूरज का बिल्कुल मध्य का भाग यानी इक्वेटर का भाग 24 दिन में एक बार पूरा घूम लेता है,
बल्कि बाकी के भाग 30 दिन से भी ज्यादा का समय लेते हैं एक चक्कर काटने में.
chromosphere –
Photosphere के बाहर होता है chromosphere की लेयर जिसे हिंदी में वर्णमंडल कहते हैं,
जो कि 3,000 से 5,000 किलोमीटर तक की मोटी परत होती है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय इस मंडल का रंग सिंदूरी हो जाता है।
और यह वर्ण हाइड्रोजन के परमाणु द्वारा किए गए विकिरण की अधिकता के कारण उत्पन्न होता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्ण मंडल सूरज के बाहरी वातावरण का वह लेयर भी हो सकता है,
जो हीट को सूरज के अंदरूनी भाग से बाहर की ओर कंडक्ट करने में मदद करता है
कोरोना जिसे हम पूर्ण सूर्यग्रहण के समय देखते हैं. सूर्य के चारों ओर एक चमकदार छल्ले के रूप में, वह इस लेयर के ऊपर ही होता है.
इस परत को वर्ण मंडल कहते हैं क्योंकि इस परत का रंग रंगीन होता है. जब सूर्य ग्रहण का समय होता है तब.
तापमान की बात करें तो इसकी निचली सतह 3700 डिग्री सेल्सियस तक होती है.
और इसके ऊपरी सतह का तापमान 7700 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है।
दरअसल सूरज (information about sun in hindi) का वातावरण की लेयर सूर्य की photosphere लेयर से गर्म होता है,
वह क्यों ? आगे जानते हैं…
Corona –
Chromosphere के ऊपर के होता हैं corona की लेयर।
corona सूरज का वातावरण का सबसे दूर तक फैली हुई layer हैं, जो कि लगभग 50 लाख किलोमीटर से 2 करोड़ किलोमीटर तक दूरी हो सकती है।
और तापमान में तो यह 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक होती है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य की बाहरी परत बहुत ही अच्छी तरीके से दिखाई देती है।
और सही मायनों में कहे तो इस लेयर को केवल सूर्य ग्रहण के समय ही देखा जा सकता हैं.
सूरज के बाहरी वातावरण में मौजूद यह कोरोना की लेयर सूरज के फोटोस्फीयर लेयर से 300 गुना ज्यादा गर्म होती है.
जबकि यह सूरज के कोर से सबसे दूर की परत होती है.
पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय जब सूरज पूरी तरीके से ढक जाता है, चंद्रमा के द्वारा.
तब काली चंद्रमा की परछाई के चारों ओर कोरोना की सफेद चमकीली रोशनी के रूप में देखा जा सकता है.
जो कि आयनाइज्ड गैस होते हैं.
बताया जाता है कि कोरोना के लेयर का इतना ज्यादा तापमान होना, सूर्य (sun in hindi) के अंदरूनी भाग से मैग्नेटिक फील्ड के जनरेट होने से होता है.
और इस कोरोना लेयर के कुछ क्षेत्र में डार्क एरिया भी होते हैं. जिन्हें कोरोनल होल्स कहते हैं.
बताया जाता है कि इन्हीं कोरोनल होल से ही सोलर विंड यानी सौर हवाएं एस्केप होकर सूरज के वातावरण से बाहर निकलता है.
कोरोना के ऊपर मौजूद यह होल तुलनात्मक रूप ठंडे होते हैं.
क्यों corona ज्यादा गर्म हैं photosphere से :-
अब अगर आपने ध्यान दिया होगा तो हमने ऊपर हमने यह बताया है कि chromosphere और
corona की लेयर सूरज का वातावरण में सबसे पहली लेयर photosphere से गर्म होती हैं।
जबकि दोनों ही लेयर सूर्य से दूर हैं। photosphere की लेयर की तुलना में, फिर भी यह photosphere से ज्यादा गर्म है,
इन्हें तो photosphere से कम गर्म होना चाहिए था। आखिर यह कैसे संभव है चलिए जानते हैं…
उदहारण से समझते हैं (information about sun in hindi) :-
Imagine कीजिए आप किसी आग के पास खड़े हो।आपको उस आग की लपटों की आंच लग रही है, आप थोड़ा दूर जाते हो,
आपको अब उतना आंच नहीं लगता है। आप जितना दूर जाते हो तापमान उतना ही कम होता जाता है।
लेकिन सूर्य के साथ ऐसा नहीं है, सूर्य के बाहरी सतह से दूर जाने के बाद भी तापमान सूर्य की सतह से सैकड़ों गुना ज्यादा होता जाता है.
और यह सूर्य का सबसे बड़ा रहस्य है, जिसे अभी तक ठीक से solve नहीं किया जा सका हैं।
लेकिन कुछ परिकल्पनाएं प्रस्तुत की गई है इस विषय के बारे में, जिसमें से एक परिकल्पना है.
इसका कारण सूरज का मैग्नेटिक फील्ड (magnetic field) हो सकता है,
और दूसरा है सूरज का magnetohydrodynamics wave, जो कि सूर्य की सतह से बाहर की ओर चलता है।
इसके अलावासूरज का वातावरण में स्थित corona की लेयर लगातार अपने आगे की ओर transport होता रहता है.
और यही कारण सौर हवा को जन्म देता है।
तो जानकरी सूरज की हिंदी में (information about sun in hindi)
सूर्य की जानकारी हिंदी में wikipedia