kaju ka utpadan – ऐसा कहा जाता है कि भारत में काजू ब्राजील से आया है और पूरी दुनिया में काजू की खेती ब्राजील से ही मानी जाती है. ब्राजील से इस काजू के पेड़ को पूरे विश्व भर में फैलाया गया है और सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक लंबा होता है. पर ऐसा नहीं है कि काजू का पेड़ केवल काजू के फल के लिए ही प्रसिद्ध है. काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर लुब्रिकेंट तक में होता है.
काजू के पेड़ का फल बहुत ही अजीब सा सेब की तरह होता है. जिसके नीचे काजू उसके नीचे काजू सतह. से लगा हुआ बिल्कुल ऐसा लगता है मानो फल से लटका हुआ हो. काजू का प्रयोग भारत में बहुत प्रकार से किया जाता है खासतौर पर फलाहार और अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए. एक बार जान लेते हैं कि भारत में काजू का उत्पादन सबसे ज्यादा कहां होता है…
भारत में काजू का उत्पादन –
भारत में सबसे ज्यादा काजू का उत्पादन भारत के तटीय क्षेत्रों में होता है. खासतौर पर केरल महाराष्ट्र गोवा कर्नाटक तमिलनाडु आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों में तो बहुत ही ज्यादा। दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में भारत में गैर परंपरागत फसलें बहुत ही ज्यादा उगाई जाती हैं.
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यही कारण कि दक्षिण भारत में व्यवसाय उत्तर भारत की तुलना में बहुत ही ज्यादा फली फूली और बहुत ही ज्यादा उत्कृष्ट किस्म का भी है. वहां से विदेशों में भेजे जाने वाले वस्तु बहुत ही ज्यादा उगाए जाते हैं.
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पर ऐसा नहीं हैं कि बाकि जगह कुछ होता ही नहीं हैं. पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में भी समुद्र लगता है. वहां पर भी काजू की खेती की जाती है. पर इन्हीं क्षेत्रों से लगा हुआ एक राज्य झारखंड भी है जहां पर थोड़ा बहुत काजू की खेती होती है. क्योंकि यह बंगाल और उड़ीसा से सटा हुआ है. पूर्वी सिंहभूम पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला जैसे जिलों में काजू की खेती होती है.
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काजू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु होती है 700 मीटर ऊंचाई वाली जगह है जहां पर 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान बना रहे और साल में वर्षा ज्यादा हो. ऐसी जगह है दक्षिण भारत में काफी है. जैसे पश्चिमी घाट के पर्वत और पूर्वी घाट के ऊपर वाले जगह. यही कारण है कि दक्षिण भारत में काजू की खेती सबसे ज्यादा होती है.