घी का पाचन कैसा होता है – lipids digestion in hindi

आपने कभी यह सोचा है कि घी तेल बटर मक्खन जैसी चिकनाई वाली चीज जो हम खाते हैं,
आखिर वह हमारे पेट में जाकर पचता कैसे हैं??? क्योंकि कोई भी बायो मॉलिक्यूल हो चाहे कार्बोहाइड्रेट हो प्रोटीन हो उनमें से सबसे ज्यादा कठिनाई से पचने वाला बायो मॉलिक्यूल अगर कोई है, तो वो यही biomolecule है, यह चिकनाई वाली चीज़े।

देखिए जो चिकनाई की चीजें हम खाते हैं, यह घी तेल बगैरह, इन्हें बायोलॉजी की भाषा में lipids कहा जाता है, और यह जो lipids होते हैं, यह बहुत ही ब्रॉड term हैं, इनमें कोलेस्ट्रॉल, फैटी एसिड, स्टेरॉयड, glycerol जैसे बहुत सारी चीज आती है।

lipids क्या होता है

अब ये lipids क्या होते हैं, सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए, देखिये lipids उन बायो मॉलिक्यूल को कहते हैं, जो कभी भी पानी में नहीं घुल सकते हैं। लेकिन वो किसी nonpolar solvent जैसे benzene chloroform में यह लिपिड आसानी से घुल जाते हैं। अब घी को ही ले लीजिए। घी कभी भी पानी में नहीं घुल सकता है।

अब ये lipids को समझने के लिए हमने lipids को mainly तीन भागों में बांट दिया है। एक है सिंपल lipids जिसमें फैटी एसिड जैसे triglyceride glycerol, fats आते हैं। दूसरा होता है कंपलेक्स lipids, जिसमें lipids दूसरे बायो मॉलिक्यूल के साथ मिलकर एक अलग प्रकार का लिपिड बनाते हैं, जैसे लाइपोप्रोटीन जिसमें lipids और प्रोटीन आपस में मिलकर लाइपोप्रोटीन बनाते हैं। ग्लाइकोप्रोटीन जिसमें कार्बोहाइड्रेट और लिपिड्स आपस में मिलते हैं। और फास्फोलिपिड जिसमें फास्फेट और लिपिड आपस में मिलकर लिपिड मॉलिक्यूल बनाते हैं। ठीक उसी तरह होते हैं derived lipid, जो कंपाउंड और सिंपल लिपिड के hydrolysis से बनते हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल बाइल एसिड और टेस्टोस्टरॉन जैसे जाती हैं।

घी किससे बनी हुई होती है

अब देखिए जो fat हम खाते हैं, जो ये तेल वगैरह उसमें 90% ट्राइग्लिसराइड होता है और 5 परसेंट लगभग उसमें फास्फोलिपिड्स होते हैं। बाकी के 5 परसेंट में कोलेस्ट्रॉल वगैरह चीजें होती हैं। लेकिन जो fat हम खाते हैं, उनमें से अधिकतम ये ट्राइग्लिसराइड्स हम ज्यादा खाते हैं।

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तो बिना देर किए हुए सीधे हम यह जान लेते हैं कि आखिर जो lipids हम खाते हैं, घी तेल उनका पाचन होता कैसे है???

देखिए जैसे ही हम कोई fat rich फूड अपने मुंह में रखते हैं, हमारे सलाइवा में मौजूद एक एंजाइम है, जिसे कहते हैं lingual lipase यह हमारे फैट रिच फूड के साथ मिक्स हो जाता है। देखिए lipase एक एंजाइम है, जो लिपिड्स को ब्रेकडाउन करने का काम करता है। चुकी ये सलाइवा में पाया जाता है, इसलिए इसे lingual lipase कहा जाता है।

पेट में घी का पाचन

पर यह lipase दरअसल inactive form में रहता है। तब तक जब तक कि ये एसिड के संपर्क में ना आ जाए। swallow करके इस food को हम अपने पेट में ले जाते हैं, हमारे पेट में निकलता है acid, जो इस fat rich food को अपने अंदर engulf कर लेता है, यानी इसमें एसिड मिल जाता है। और जब ये एसिड से मिलता है. ठीक उसी समय चीफ सेल से जो stomach के इनर लाइनिंग पर एक सेल होती है, उससे gastric lipase इस नाम का एक और enzyme निकलता है। जो कि इस lingual lipase के साथ मिलने पर गैस्ट्रिक एसिड के संपर्क में आने पर, यह दोनों ही lipase एक्टिव हो जाते हैं। और जो फैट हम खाए थे जिसमें अधिकतम ट्राइग्लिसराइड था उसे फ्री फैटी एसिड और diglycerides में तोड़ देते हैं, यह enzyme.

अभी भी काम पूरा नहीं हुआ है, पेट से जैसे ही यह diglyceride और फ्री फैटी एसिड में टूटा हुआ ट्राइग्लिसराइड्स हमारे छोटी आत के इस duodenum में आता है। तुरंत ही हमारे लीवर से बाइल जूस और pancreas से pancreatic juice इस अधपचे भोजन में आकर मिल जाता है।  स्टमक से आए हुए इस फूड को chyme कहा जाता है। chyme में मिलते ही बाईलजूस जोकि फैट के पाचन में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है, वह काम करना शुरू कर देता है।

देखिए कभी आपने यह दिखाया कि जब भी आप पानी में किसी तेल या घी को मिलाते हैं, तो दरअसल यह तेल और घी पानी के ऊपरी सरफेस पर तैरता रहता है। एक बड़ा सा globule बना लेता है। पर वह कभी भी पानी में मिलता नहीं है। ठीक इसी तरह यह जो fat हम खाए रहते हैं। तेल घी बगैरा वह जब हमारी छोटी आत में आता है। तो बिल्कुल वह इसी fluid के ऊपर तैरता रहता है, एक बड़े से globule में, जैसे ही इसमें बाइल जूस मिलता है यानी पित्त तो बाइल जूस में मौजूद बाइल साल्ट इस बड़े-बड़े फ्लैट मॉलिक्यूल को छोटे-छोटे fat मॉलिक्यूल में यानी फ्लैट globule में तोड़ने लगता है। इससे हमारे फैट का emulsification कहते हैं। यह सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट पार्ट है, हमारे फैट के डाइजेशन में, क्योंकि कभी भी फैट के इतने बड़े बड़े मॉलिक्यूल डाइजेस्ट हो ही नहीं सकते।

छोटी आंत में घी का पाचन

अब देखिए छोटी आत के duodenum में यह छोटे-छोटे fat के मॉलिक्यूल अब कन्वर्ट हो चुके हैं। इस पर अब पेनक्रिएटिक lipase जो कि pancreas से आने वाले pancreatic juice में होता है। वह इस fat के छोटे-छोटे मॉलिक्यूल को पूरी तरीके से ही तोड़कर फैटी एसिड में तोड़ देता है। इस diglyceride को भी फैटी एसिड और monoglyceride में कन्वर्ट कर देता है। जिससे आसानी से ये फैट के मॉलिक्यूल हमारे शरीर में absorb हो सके और हमारे इसी छोटी आत की दीवार पर मौजूद absorptive cell जिसे enterocyte भी कहते हैं। वह अब इन फैट मॉलिक्यूल को अपने अंदर absorb करने लगता है। पर ध्यान रहे फैटी एसिड जो हमारे शरीर में absob हुए हैं, इस एंटेरो साइट में वह कभी भी ब्लड में absorb नहीं होता है।

घी का अवशोषण

देखीये होता यह है कि यह फैटी एसिड और monoglyceride बाइल साल्ट और ग्लाइकोलिपिड के साथ bind होकर एक structure बना लेते हैं जो वॉटर सॉल्युबल होता है। जिसे michelle कहते हैं। यह michelle enterocyte के पास जाकर डिसइंटीग्रेट हो जाता है। जिसकी वजह से यह फैटी एसिड और monoglyceride इस सेल के अंदर जाकर डिफ्यूज हो जाते हैं।

देखें एंटेरो साइट में golgi body नाम के ऑर्गेनल्स होते है, जो की cell का ही इंटरनल पार्ट होता है। वह इन फैटी एसिड्स और monoglycerides का resynthesise करके इनके ऊपर एक प्रोटीन का layer चढ़ा देता है। और अब प्रोटीन के layer चढ जाने के बाद इस फॉर्म हुए स्ट्रक्चर को chylomicron कहा जाता है। यह chylomicron सीधे ब्लड में ना absorb हो कर यह जो हमारे छोटी आत के दीवार के अंदर ही मौजूद ब्लड वेसल के साथ जो lymph होते हैं, उसके अंदर ये chylomicron absorb होते हैं। और वहां से यह ब्लड वेसल में absorb होते हैं।

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