लोकतंत्र क्या हैं – what is democracy in hindi

loktantra kya hai – इस लोकतंत्र पर इतनी ज्यादा राजनीति हो चुकी है ना कि अब हर एक व्यक्ति के मन में यह बताता है कि लोकतंत्र एक ऐसी चीज है जो भारत का एक अभिन्न अंग है. अगर इसको हम नहीं जानेंगे ना तो हम कभी यह बात जान ही नहीं सकते कि हमारा देश है क्या ?

इस लोकतंत्र के नाम पर न जाने राजनीति में क्या-क्या होता है और ना जाने कितने लोग मक्खन लगाकर बड़े बड़े पद पर आसीन हो जाते हैं. इसलिए अगर आपको सही मायने में लोकतंत्र का अर्थ नहीं पता होगा ना तो आप कभी भी इन राजनीतिकारों के असली मंशा को कभी समझ नहीं पाओगे।

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका इस दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है अब ऐसी स्थिति में जब अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है तो इस दुनिया पर इस समय सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन कर उभरा है.

लेकिन भारत लोकतंत्र के मामले में विश्व में सबसे बड़ा तो है लेकिन यह बहुत नया है अमेरिका जैसे देशों की तुलना में. वही चीन एक साम्यवादी देश है जहां पर लोकतंत्र बिल्कुल भी नहीं है. बल्कि यह तो लोकतंत्र का कट्टर विरोधी है.

अब ऐसी स्थिति में हमें सही मायनों में यह जानना होगा कि लोकतंत्र होता क्या है तो चलिए जानते हैं सरल शब्दों में कि लोकतंत्र होता है…

लोकतंत्र क्या है –

लोकतंत्र का अर्थ है जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन यानी किसी देश की जनता अपने देश की शासन व्यवस्था को चलाने के लिए खुद ही स्वयं एकत्रित होकर अपना एक अलग संविधान एक नियम बनाकर अपने देश को चलाने का निर्णय लेती है.

यानी एक लोकतंत्र में किसी देश में वहां पर क्या नियम रहेंगे वहां कौन शासन करेगा वहां कैसी कैसी चीजें चलेंगी यह सब इस बात पर निर्भर करती है कि वहां की जनता वहां पर कैसा नियम लाना चाहती है. वहां की जनता कैसा जीना चाहती है और वहां की जनता कैसे लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनती है.

यहां पर लोकतंत्र शब्द किसी देश के लिए भी प्रयुक्त हो सकता है और किसी राज्य के लिए भी प्रयुक्त हो सकता है. वर्तमान समय में लोकतंत्र का प्रयोग तो केवल राजनीतिक संदर्भों के लिए किया जा रहा है.

लेकिन लोकतंत्र राजनीतिक संदर्भों से कहीं ज्यादा ऊपर की चीज है. यह बहुत ही जटिल और गहराइयों से भरा हुआ विषय है. जो किसी देश की नियति और भविष्य दोनों ही तय करता है.

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उदहारण से समझिये –

अब जैसे उदाहरण के लिए देखिए आप भारत के सभी राज्य और जिले में रहते हैं. जब आपके राज्य का चुनाव होता है या जब देश का चुनाव होता है तब आप अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देते हैं. वह किसी भी पार्टी का हो सकता है.

वह बात दूसरी है कि आज के समय में लोग लोकतांत्रिक मूल्यों से ऊपर उठकर या कहें उसका दमन करके वोट खरीद रहे हैं और अयोग्य होने के बावजूद भी इसी देश या राज्य को प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

तो जैसे ही आप अपने इस लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हैं, आप अपने अनुसार के व्यक्ति को चुनते हैं आप उस व्यक्ति से सीधा संबंध बनाकर अपने राज्य अपने जिले अपने कस्बे अपने गांव को विकसित करने के लिए कई तरह के कदम उठा सकते हैं अप्रत्यक्ष रूप से.

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आप अपने विधायक या सांसद से अपने क्षेत्र के विकास के लिए अनुरोध करेंगे और वह सांसद या विधायक देश के प्रतिनिधि के सामने जाकर अपने जिले या अपने शहर के मांगों को रखेगा और देश का प्रतिनिधि इस बात पर विचार कर वहां पर विकास करने के लिए कदम उठाएगा।

यहां हुआ यह कि जिले की जनता ने अपने अपने चुने हुए प्रतिनिधि से अपने क्षेत्र के विकास के लिए बातें कहीं और क्षेत्र का प्रतिनिधि देश के प्रतिनिधि के पास जाकर उस जिले की मांगों को रखा तो.

तो यहाँ पर यह दिखता हैं की जनता अप्रत्यक्ष रूप से देश के मामलो में हस्तक्षेप कर सकती हैं. यह तंत्र लोकतंत्र का एक अच्छा उदाहरण कहा जा सकता है.

लोकतंत्र के अंग –

किसी भी देश में सफल लोकतंत्र को सफल बनाना है तो लोकतंत्र से वह चार अंग, जो उस देश में होने ही होने चाहिए। जिसमें से एक अंग तो विद्वानों ने लोकतंत्र के 3 मूल अंगों से अलग मना है. लोकतंत्र के तीन अंग है व्यवस्थापिका न्यायपालिका और कार्यपालिका

लोकतंत्र के अंग
लोकतंत्र के अंग

न्यायपालिका – किसी भी देश में वहां उस देश के के बनाए हुए संविधान और वहां के कानून को उस देश में सही से चलाने के लिए न्यायपालिका बनाई जाती है. यह न्यायपालिका अगर कोई व्यक्ति वहां पर कानून का पालन नहीं किया जाता है तो वहां के व्यक्तियों को नियमानुसार दंड भी देती है.

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कार्यपालिका – लोकतंत्र का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग कार्यपालिका किसी भी देश पर शासन का अधिकार रखती है जहां पर लोकतंत्र है लागू होता है. किसी भी देश का कार्यपालिका का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है जो अपने शक्ति का प्रयोग कर अपने प्रधानमंत्री के साथ मिलकर देश के शासन को चलाता है. ठीक उसी तरह राज्यों में राज्यपाल राज्य की शासन व्यवस्था को देखता है.

व्यवस्थापिका – लोकतंत्र का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है व्यवस्थापिका। व्यवस्थापिका को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. अमेरिका में इसे कांग्रेस कहते हैं. इंग्लैंड और भारत में से पार्लियामेंट यानि संसद कहते हैं तो जापान में से डायट कहा जाता है. व्यवस्थापिका का मूल काम नए नए कानून को बनाना और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व की बातों को सबके सामने प्रस्तुत करना।

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वैसे तो कुछ विद्वानों के अनुसार लोकतंत्र का एक और अंग माना जाता है जिसे पत्रकारिता कहा जाता है. जिसका मूल काम के होता है कि समाज में पारदर्शिता बनाए रखना। समाज में होने वाले हर कार्य को जनता के सामने बिल्कुल वैसे ही रखना जैसा वह है.

लेकिन आज के समय में यह ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा है. क्योंकि पत्रकार आज के समय में अपने मन मुताबिक जैसा चाहे जिसके भी पक्ष में बातें रखकर चीजों को बदल रहे हैं.

इसलिए आज के समय में यह कहना कि लोकतंत्र का चौथा खंभा मीडिया यानी पत्रकारिता है तो यह सरासर लोकतंत्र का अपमान है.

लोकतंत्र के प्रकार –

आपको जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि लोकतंत्र भी दुनिया में कई प्रकार के हैं क्योंकि लोकतंत्र की प्रणाली दुनिया में काफी समय से है. कई सैकड़ों साल बीत चुके हैं इस प्रणाली को. इसलिए धीरे-धीरे करके इस प्रणाली में थोड़ा बहुत सुधार भी आता रहा है.

कुछ कमियां दूर की गई है तो कुछ कमियां अभी भी चल रही है. लोकतंत्र में पर अलग-अलग परिस्थिति और देशकाल के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा भी बदल गई है. तो चलिए एक बार देख लेते हैं क्या अलग-अलग देशों में लोकतंत्र के किस प्रकार को लागू किया गया.

प्रतिनिधि लोकतंत्र

इस तरह के लोकतंत्र में जनता का रोल यह होता है कि वह सरकारी अधिकारियों व मंत्रियों जैसे चीजों को सीधे चुनते हैं. जैसे अपने जिले का सांसद या अपने क्षेत्र का विधायक।

लेकिन इसमें होता यह है फिर जब भी कोई नियम या कानून या क्षेत्र के विकास की बात आती है तो चुनाव हुआ प्रतिनिधि निर्णय स्वयं ही ले सकता है वह स्वयं ही यह बात का फैसला लेगा कि कहां कितना पैसा लगाना है. इसमें जनता की राय लेना अनिवार्य नहीं है.

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उदार लोकतंत्र

इस तरह के प्रतिनिधि का चुनाव बिल्कुल पारदर्शिता के साथ होता है. यह पूरी तरीके से निष्पक्ष चुनाव होते हैं. उदार लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जाती है. कानून व्यवस्था बनाई जाती है.

जो भी कमजोर तबके हैं उनको हमेशा उत्थान के लिए प्रेरित किया जाता है. आरक्षण ऐसी चीजों को लागू किया जाता है. कानून व्यवस्था को ही सर्वोपरि माना जाता है. इसके अलावा भाषा धर्म संस्कृति संपत्ति का यह सब को महत्व दिया जाता है.

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प्रत्यक्ष लोकतंत्र –

प्रत्यक्ष लोकतंत्र में नागरिकों को सभी तरह का अधिकार दिया जाता है. देश में कोई भी कानून व्यवस्था या पैसों का वितरण होगा यह सब में जनता का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप होगा। जनता अपने-अपने चुनाव का इस्तेमाल कर देश में अपने हस्तक्षेप को दिखा सकती है.

लोकतंत्र का महत्व –

अब चुकी हमारे भारत देश एक लोकतंत्र है और भारत देश में कई तरह की की कमियां भी है. इसीलिए एक भारतीय ये सोच सकता है कि लोकतंत्र के होने से भारत को फायदा ही क्या है?

आखिर लोकतंत्र का महत्व क्या है जो लोग हर बार यही कहते हैं यह लोकतंत्र बहुत ही जरूरी चीज है. एक बार देख लेते हैं लोकतंत्र के महत्व को..

  • लोकतंत्र का होना इसलिए जरूरी है क्योंकि लोकतंत्र किसी भी देश के हर एक नागरिक को वह हर एक अधिकार देता है जिसके आधार पर व्यक्ति अपने भावनाओं को स्वच्छंद रूप से व्यक्त भी कर सकता है. साथ ही किसी भी कार्य को करने में बिना किसी जात पात क्षेत्र और भाषा के आधार पर भेदभाव के वह कार्य को कर सकता है.
  • समाज में जो बहुसंख्यक समाज होता है उसमें जो कुलीन और धनाढ्य लोग होते हैं वह आलसी, भावशून्य और उदासीन होते हैं. वह किसी भी काम को करना नहीं चाहते हैं. इसलिए वह अपने से कमजोर वर्ग के लोगों को काम पर रखकर उनका शोषण करते हैं. इसीलिए एक अल्पसंख्यक समाज होता है जो उनके विरोध हमेशा खड़ा रहकर समाज के संतुलन को बनाए रखते हैं.
  • लोकतंत्र समाज केे किसी भी व्यक्ति को ऊंचा उठने का मौका देता है व्यक्ति अपने मेहनत और परिश्रम के आधार पर धन का संचयन भी कर सकता है और अपने अनुसार खर्च भी कर सकता है.

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