पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई – origin of life in hindi

origin of life in hindi – पृथ्वी पर जीवन का उद्भव, अभी तक इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी मनुष्य को पता नहीं चल पाई है.

और वैज्ञानिक निरंतर इस प्रश्न के उत्तर को ढूंढने के लिए पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों से प्राप्त

जीवाश्म का अध्ययन कर इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने में लगे हुए हैं।

आज मैं आपको पृथ्वी पर जीवन के उद्भव से संबंधित जो जानकारियां जुटा पाया हूं वह मैं आपको बताता हूं।

करोड़ो साल पुराने जीवाश्म ने मदद की अध्ययन करने में :-

तो पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत (origin of life in hindi) को जानने के लिए हमें पृथ्वी पर उन चीजों को जानना पड़ेगा.

जो पृथ्वी के जन्म के समय से ही पृथ्वी के साथ हैं यानी पृथ्वी पर सबसे पुरानी चीज और वह है चट्टान और पत्थर।

कुछ चट्टान और पत्थर तो ज्वालामुखी के लावा और बाकी की क्रियाओं द्वारा नए नए बने हुए हैं।

पर इनमे से कुछ पत्थर और चट्टान बहुत ही प्राचीन है। जो पृथ्वी पर जीवन के सबूत को लिए हुए हैं।

यह प्राचीन चट्टान और यह पत्थर मिनरल से बने हुए होते हैं।

जो जीवन के उद्भव के लिए अमृत के समान काम किए तो चलिए बिना समय गवाएं

हम पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत (origin of life in hindi) के बारे में जानना शुरू करते हैं…

जल ही जीवन हैं (origin of life in hindi) :-

तो सबसे पहला स्टेज है पृथ्वी पर पानी का आना।

हालांकि पृथ्वी पर पानी के आने के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है।

पर जो प्रचलित थ्योरी है वह यह है कि नेपच्यून के ऑर्बिट के पार काईपर बेल्ट से icy meteor के

पृथ्वी के कक्षा के पास आने और पृथ्वी से टकराने से पृथ्वी पर पानी का आगमन हुआ था।

यह icy meteor बर्फ के रूप में थे और समय के साथ यह icy meteor पिघल गए और लिक्विड वाटर के रूप में आ गए।

तो यह है पानी का पृथ्वी पर आने की परिकल्पना, अब आते हैं मूल मुद्दे पर जीवन के उद्भव के विषय में। (origin of life in hindi)

चार्ल्स डार्विन ने दिया था अपना विचार :-

इस विषय में सबसे पहले अपने विचार चार्ल्स डार्विन ने 1871 में दोस्त को लिखी चिट्ठी में व्यक्त किया।

उनके अनुसार पृथ्वी पर सबसे पहले जीवन किसी गर्म तालाब में शुरू हुआ होगा।

डार्विन के अनुसार, गर्म तालाब में मौजूद तरह तरह के केमिकल मॉलिक्यूल और सूर्य की किरणें जीवन के उद्भव का कारण हो सकती है।

1952 में अमेरिकन वैज्ञानिक स्टैंली मिलर (stanley miller) और उनके असिस्टेंट हैरोल्ड यूरी (harold urey) ने एक प्रयोग किया।

जिसमें उन्होंने एक फ्लास्क में पानी और दूसरी फ्लास्क में अमोनिया, हाइड्रोजन और मीथेन जैसे गैस को लिया।

यहां उन्होंने वाटर वाले फ्लास्क को समुद्र की तरह दर्शाया और गैस वाले फ्लास्क को reducing atmosphere की तरह दिखाया।

गैस वाले फ्लास्क में उन्होंने एक इलेक्ट्रोड भी लगाया।

वाटर वाले फ्लास्क से पानी भाप बनकर गैस वाले फ्लास्क में गया।

और इलेक्ट्रोड के स्पार्क की वजह से फ्लास्क से यह पानी गैस के मॉलिक्यूल से रिएक्शन करने लगे।

मिलर और यूरि है यह क्रिया हफ्ते भर तक किया।

और उन्हें यह नतीजा मिला कि यह क्रिया ऑर्गेनिक कंपाउंड और अमीनो एसिड को बनाया, जो प्रोटीन को बनाता है।

और यही प्रोटीन जीवन के लिए बिल्डिंग ब्लॉक होता है।

यूरी और मिलर का यह एक्सपेरिमेंट डार्विन के पृथ्वी पर जीवन (origin of life in hindi) के उद्भव वाले विचारधारा को सही साबित कर रहा था।

पृथ्वी का निर्माण

stanley miller experiment, origin of life in hindi

एक और परिकल्पना हैं जीवन के बारे में :-

लेकिन कुछ साल बाद वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को चैलेंज करते हुए जीवन के शुरुआत के बारे में एक नया परिकल्पना को प्रस्तुत किया।

जिसके अनुसार पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत (origin of life in hindi) की प्रक्रिया लगभग 3 अरब 80 करोड़ साल पहले

होना शुरू हुई वह भी समुद्र के अंदर पाए जाने वाले हाइपोथर्मल वेंट (hypothermal vent) से जो कि समुद्र के अंदर एक ज्वालामुखी के समान ही होते हैं।

इन वेंट से निकलने वाले गैस और वहां मिट्टी में मौजूद मिनरल के आपस में क्रिया करने से ऑर्गेनिक कंपाउंड का निर्माण हुआ।

यह मिट्टी और उसमें मौजूद मिनरल्स, गैस को क्रिया करने के लिए सरफेस प्रोवाइड कराएं.

और यह एनर्जी के रूप में सूर्य के एनर्जी का इस्तेमाल न करके केमिकल एनर्जी का

इस्तेमाल कर पृथ्वी पर पहले जीव माइक्रोब्स (microbes) को जीवन दिया।

यह माइक्रोब्स वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में ऑक्सीजन उत्सर्जित किए।

और करोड़ों करोड़ों साल तक माइक्रोब्स द्वारा ऑक्सीजन के रूप में वेस्टेज उत्सर्जित करने के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी।

ज्वालामुखी से निकलने वाली गैस की मदद से वातावरण में ऑक्सीजन और बढ़ गई।

जिससे पृथ्वी पर बडे और जटिल जीव के लिए वातावरण बना। origin of life in hindi

वैज्ञानिकों इन माइक्रोब्स का पता करोड़ों करोड़ों साल पुराने पत्थरों और टीलों से लगाया से लगाया।

यह टीले करोड़ों करोड़ों साल तक माइक्रोब्स के एक के ऊपर एक मर कर जमा होने से बने।

इन टीलों को स्ट्रोमाटोलइट्स (stromatolites) कहते हैं। अब तक प्राप्त सबसे पुराने stromatolites 3 अरब 70 करोड़ साल पुराने हैं।

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stromatolite

यही जानकारी विडियो के रूप में जानने के लिए ये विडियो देखिये –

jeevan ki shuruaat

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