आप ये बात तो जानते ही हैं जैसे केंद्र सरकार में राष्ट्रपति का दर्जा होता है ठीक उसी तरह राज्य में केंद्र सरकार के एजेंट की तरह राज्यपाल की नियुक्ति होती है. राज्यपाल बिल्कुल वैसा ही है जैसे केंद्र में राष्ट्रपति।
पर ये राज्यपाल का काम क्या होता है ? यह करता क्या है इसकी जरूरत क्या है ? आखिर क्यों राज्यपाल को चुना जाता है और राज्यपाल को शपथ कौन दिलाता है ? कौन है जो राज्यपाल को किसी राज्य के लिए नियुक्त करता है??
यह बहुत सारे प्रश्न है जो एक व्यक्ति अपने आम जीवन में जानना चाहता है तो चलिए बिना समय गवाएं पहले यह जान लेते हैं कि राज्यपाल होता क्या है…
राज्यपाल क्या होता है –
अब जब इतिहास पढ़ते होंगे तो आपको पता चलता होगा कि इस अंग्रेज गवर्नर ने भारत के ऊपर बहुत अत्याचार किया। भारत के लोगों पर बहुत ही तरह-तरह के जुल्म ढाहे और यह जो गवर्नर है ना इसे ही हिंदी में राज्यपाल कहा जाता है.
दरअसल ये राज्यपाल जैसे नियमों की उत्पत्ति भारत में ब्रिटेन के लोगों ने ही लाया। जिसका मूल मकसद यह होता है कि किसी देश पर राज्य करने वाला शासक के अधीन वह व्यक्ति जो किसी देश के किसी एक भाग पर शासन कर रहा हो.
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अब उदाहरण के लिए हमारा भारत देश एक संघीय देश है यानी कई सारे राज्यों से मिलाकर बना हुआ एक यूनियन। अब इसमें एक स्टेट पर राज्य करने वाला राज्यपाल राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाएगा यानी राष्ट्रपति भारत का मुख्य शासक है.
और वह भारत के किसी भी राज्य पर अपने द्वारा नियुक्त किया हुआ राज्यपाल भेजेगा ताकि वहां पर उसका शासन चल सके.
राज्यपाल के कार्य क्या होते हैं –
जैसा कि आप जानते हैं कि राज्यपाल किसी भी देश के शासक का एक एजेंट की तरह होता है. जो उस राज्य पर शासन करता है. इसलिए राज्यपाल की सबसे बड़ी शक्ति तो यह है कि राज्यपाल राज्य में कई बड़े बड़े फैसलों को ले सकता है. एक बार देख लेते हैं राज्यपाल की शक्तियों को.
1- राज्यपाल किसी भी राज्य में मंत्रिमंडल या मंत्रिपरिषद में विभाग को को बांट सकता है. क्योंकि उसे राष्ट्रपति और संविधान के अनुसार वह शक्तियां प्रदान की गई हैं.
2- राज्यपाल मुख्यमंत्री के कहने पर किसी भी राज्य के यानी जिस राज्य में वह राज्यपाल का कार्य कर रहा है वहां के मंत्री परिषद को बर्खास्त कर सकता है.
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3- अगर किसी राज्य में कोई खास तरह का बिल पास करना हो तो राज्यपाल विधान परिषद और विधानसभा से पारित हुए बिल को राष्ट्रपति के पास भेज कर उस बिल को उस राज्य में पारित करवाने का काम भी कर सकता है.
4- राज्यपाल किसी भी बड़े यूनिवर्सिटी जो कि उसी के राज्य में चलती हो उसका कुलाधिपति बन सकता है वहां के शिक्षा व्यवस्था को देखने के लिए.
5- राज्यपाल राज्य में चुनी हुई सरकारों के जितने भी महत्वपूर्ण पद हैं जैसे महाधिवक्ता लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष जैसे चीजों की नियुक्ति करता है.
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6- चुनी हुई सरकार के द्वारा जो व्यक्ति मुख्यमंत्री बनेगा उसको शपथ दिलाने का काम भी उस राज्य का राज्यपाल ही करता है.

राज्यपाल को शपथ कौन दिलाता है –
जैसा कि आप जाने गए हैं कि राज्यपाल राज्य के लिए कितना ज्यादा महत्वपूर्ण पद है. एक तरीके से राज्य पर शासन करने वाला राज्यपाल ही होता है. वह बात दूसरी है कि व्यवहारिक रूप में राज्य को मुख्यमंत्री ही चलाता है.
लेकिन सही मायनों में देखें तो मुख्यमंत्री के पद को भी शपथ दिलाने वाला राज्यपाल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. अब प्रश्न यह है कि राज्य में अगर राज्यपाल ही सब कुछ है तो राज्यपाल को शपथ कौन दिलाता है.
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देखिए जिस तरह से राज्य में मुख्य पद होते हैं राज्यपाल के, मुख्यमंत्री के, ठीक उसी तरह राज्य में राज्य के हाई कोर्ट का न्यायाधीश यानी राज्य के सर्वोच्च न्यायालय का सबसे बड़ा न्यायाधीश यानी मुख्य न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल को शपथ दिलाता है.
यह ठीक वैसा ही है जैसे भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति को शपथ लेना दिलाना। क्योंकि राष्ट्रपति को शपथ सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश दिलाता है.
अब देखिए मान लीजिए राज्य में कोई ऐसी परिस्थिति आ गई है कि राज्य में हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश उपस्थित ना हो तो ऐसी स्थिति में मुख्य न्यायाधीश के बाद जो दूसरा सबसे सर्वोच्च पद होता है, जो राज्यपाल को शपथ दिलाएगा।