हमारी जीभ हमारे शरीर की एक बहुत ही मजबूत मसल है। मजबूत क्यों?? क्योंकि जीभ हमेशा ग्रेविटी के अगेंस्ट जाकर अपना पोजीशन मेंटेन करता है, और हम अपने सेंसरी ऑर्गन से जितना भी इंफॉर्मेशन लेते हैं, उनमें से 3% इंफॉर्मेशन हम स्वाद के जरिए ही लेते हैं. जीभ से हम करते क्या क्या है, हम स्वाद लेते हैं, हम शब्दों को बोल पाते हैं, हम भोजन को चबाकर स्वैलो पाते हैं।
जीभ की संरचना –
देखे हमारी जीभ लगभग 3 इंच लंबी होती है, जिसकी सबसे पीछे वाले हिस्से में गले में, जहां पर जीभ शुरू होती है, वहां पर टॉन्सिल होते हैं ,जिसे lingual tonsil कहते हैं, और नीचे ओरल कैविटी में ये frenum नाम के स्ट्रक्चर से जुड़ा रहता है।
देखिए जब हम लोग स्कूल में थे, तब हमें यह बात पढ़ाया जाता था कि हमारे जीभ के अंदर कुछ स्पेसिफिक portion है, जो कि केवल खास प्रकार के स्वाद को ही डिटेक्ट कर पाते हैं, मतलब tongue मैप, जिसमें यह बताया जाता था कि हमारे जो जीभ का आगे वाला हिस्सा है, वह मीठा स्वाद चख सकता है, सबसे पीछे वाला bitter यानी कड़वा, साइड के दोनों भाग नमकीन और खट्टे स्वाद को चखने में मदद करते हैं। दरअसल जीभ पर मौजूद स्वाद का यह मैप 1901 में एक जर्मन साइंटिस्ट ने दिया था।
जो की पूरी तरीके से गलत है, इसका कोई sense नहीं बनता है, आइए आपको बताते हैं कि हमारा जीभ बाकी स्वाद कैसे चखता है, और जीभ का कौन-कौन सा portion किस काम में आता है।
देखिए सबसे पहले तो आपको एक मैप याद कर लेना है, जो मैं आपको बता रहा हूं। देखिए सबसे पहले आती है, हमारी जीभ और इस जीभ के ऊपर कुछ छोटे-छोटे bumps होते हैं, मतलब कुछ उभरी हुई संरचना निकली होती है। सरफेस पर ही इन्हें papillae कहते हैं। इन papillae के अंदर tastebuds होते हैं। tastebuds के अंदर taste cells होते हैं, जिसे taste receptor भी कहते हैं, और यह सभी taste cell जुड़े रहते हैं, एक nerve fiber से जो कि हमारे ब्रेन में चला जाता है, और ब्रेन हमें यह बताता है कि जो भी चीज हमने खाया, वह मीठा था, नमकीन था या खट्टा वगैरह वह क्या था।
क्यों है हमे स्वाद की ज़रूरत –
तो सबसे पहले क्वेश्चन यह आता है कि हमें स्वाद की जरूरत ही क्यों है। आखिर क्यों प्रकृति ने हमें ऐसा डेवलप किया है कि हम किसी भी चीज के स्वाद को डिटेक्ट कर पाए। लेकिन साइंटिस्ट बताते हैं कि taste के पीछे का मतलब यह है कि जो चीज जितनी ज्यादा कड़वी और कसैली होगी, जितनी ज्यादा इंटेंसिटी में वह कड़वी होगी वह उतना ही ज़्यादा poisnous होगी और उसका ज्यादा मात्रा खाना हमें बीमार कर सकता या हमारी जान भी ले सकता है। और वही मीठी नमकीन और थोड़ी बहुत खट्टी चीजें हमारे हेल्थ के लिए सही हैं। उससे हमें पोषण मिलता, उसे बहुत सारे nutrition होता है तो स्वाद का मतलब यही होता है।
हमारे जीभ के tastebuds –
देखें हमारे जीभ के ऊपर कुछ छोटे-छोटे बम्स उभरे रहते हैं, जिन्हें papillae कहते हैं, हमारे jeebh में कुल चार प्रकार के papillae होते हैं, सबसे पीछे यह वाला जो portion है, जीभ पर मौजूद ये सबसे बड़ी papillae होती है, जिसे circumvallet papillae कहते है।
जीभ के किनारे पर यह यहां पर होती है foliate papillae, जोकि शेप में फोल्ड के आकार की होती है, इसलिए इसे फोलिएट papillae कहते हैं।

जीभ के जो बाहरी परत देखते हैं, सरफेस वाला भाग वहां पर होता है fungiform papillae जोकि मशरूम के आकार का होता है, छोटा-छोटा और इसी तरह ही randomly distributated होते हैं, filliform जिसका आकार बिल्कुल पेड़ों की जड़ों की तरह होता है। तो आप समझ ही गए होंगे कि हमारा जीभ जितना साधारण बाहर से दिखता है, उतना है नहीं… उसमें बहुत सारी संरचनाएं होती हैं।
देखिए हमारे जीभ में ये जो फिलीफॉर्म पैपिली पाई जाती है। इसका काम यह होता है कि जब भी हम कोई भोजन खाते हैं, तो यह filliform papillae हमें यह बताती है कि वह गर्म है या ठंडा है और उसका टेक्चर कैसा है, वह ज्यादा विस्कस है या ज्यादा वह हल्का है। यह बताने का काम यह फिलीफॉर्म पैपिली ही करता है।
और यह जो बाकी के 3 papillie होते हैं, इनके अंदर ही tastebuds होते है, जो कि हमें स्वाद को चखने में मदद करते हैं, और इंटरेस्टिंगली ऐसा कुछ भी नहीं होता है कि tongue पर कोई स्पेसिफिक portion होता है, जो केवल स्पेसिफिक स्वाद को ही चख सकता है, अगर किसी को मीठा का स्वाद चखना होता है, तो वह पूरे जीभ पर ही फील होगा। चाहे जहां पर भी ये 3 पैपिली होंगे, बस इन पैपिली के अंदर जो tastebuds होते हैं, वह फंक्शन अलग तरीके से करते हैं, अलग-अलग tastent के साथ…
ऐसे मिलता है हमे स्वाद –
अब ऐसे देख लीजिए कि जैसे ही जब आप कोई नमकीन चीज खाएंगे तो नमकीन चीज आपकी tongue पर लगेगी वैसे ही सोडियम आयन पैपिली में मौजूद tastebuds के taste receptor से bind हो जाएगा और इंपल्सेस जनरेट होकर, हमारे ब्रेन में जाएगा और हमें बताएगा कि हमने कोई नमकीन चीज चख लिया है। उसी तरह जब हम कोई खट्टी चीज खाएंगे तो हाइड्रोजन आयन टेस्टबड्स में मौजूद टेस्ट receptor से bind हो जाएंगे और impulses generate करेंगे, मीठी चीज में मीठी चीज जाकर हमारी tastebuds के receptor से bind हो कर हमें मीठी चीज का अनुभव कराएंगे।
पर जाते-जाते आपको यह बता दें कि scientist ने यह बताया है की हम मनुष्य कुल पांच प्रकार के स्वाद को चख सकते हैं। खट्टा मीठा कड़वा नमकीन और उमामी, ये umami का स्वाद व्यक्तियों को meat टमाटर पालक जैसी चीजों में मिलता है।