पेट में गैस कैसे बनती हैं – how gas formed in stomach hindi

अगर भारत में सबसे कॉमन बीमारी की बात की जाए तो, वह शायद होगी गैस की प्रॉब्लम होगी। जो शायद हर एक व्यक्ति को होगी। अगर व्यक्ति 30 साल के ऊपर का है तब तो उसे गैस की प्रॉब्लम होनी होनी है। हालांकि ये कोई प्रॉब्लम नही हैं, ये हमारी बॉडी की नेचुरल प्रोसेस हैं। इसी गैस के चक्कर में हम तरह-तरह की दवाइयां खाना शुरू कर देते है, शरीर भर में दर्द होता रहता है, सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है और उसके सीने में जलन भी शुरू हो जाती है।

इसलिए आज इस गैस के बारे में हम ढंग से जान जाएंगे कि हमारे शरीर में हमारे पेट में गैस बनता कैसे है?? जिससे आज के बाद आप कभी भी इस विषय में कभी भी mislead ना हो पाओ.

देखिये, गैस हमारे पेट में डिफरेंट सोर्सेस आते हैं, जिसमें से तीन source हैं, हमारे सांस के द्वारा, पेट में भोजन का एसिड के मिलने के बाद गैस का बनना, और हमारे लार्ज इंटेस्टाइन में बैक्टीरिया के कारण गैस का बनना।

चलिए इनके बारे में एक-एक करके जानते हैं…

देखिए जब हम मुंह से सांस लेते हैं, खासतौर से जब हम पानी पीते हैं, यहां कोई भोजन करते हैं या जब हम बहुत ज्यादा बोलते हैं तो हम अपने अंदर गैस को भी इन्हेल करते हैं। यह गैस सीधे हमारे भोजन या पानी के साथ हमारे पेट में भी चला जाता है।
देखिये gut में बनने वाली गैस है मुख्यतः पांच प्रकार की होती हैं, ऑक्सीजन हाइड्रोजन नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन…

नाइट्रोजन और ऑक्सीजन हम सांस के जरिए पेट में लाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड हमारे पेट में हमारे खून के diffusion के थ्रू स्टमक में आ जाता है, हाइड्रोजन भोजन और पानी के पाचन से और मीथेन बैक्टीरिया के हमारे भोजन के साथ क्रिया करने से बनता है। हालांकि और भी कुछ gases होती हैं, लेकिन वह एक परसेंट से भी कम होती है। जो कि हमारे गैस में बदबू लाते हैं, mainly सल्फर रिच गैसेस…

जब भी हम कोई भोजन खाते हैं, तो पहले वह हमारे आमाशय में जाता है, जहां पर वह एसिड से मिलकर उस फूड का ब्रेकडाउन होना शुरू हो जाता है। और जब यह भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं, उसी समय स्टमक गैस भी प्रोड्यूस करने लगती है। जोकि डकार के थ्रू हमारे बॉडी से निकल जाता है और अगर डकार के थ्रू यह हमारे बॉडी से नहीं निकल पाता तो, यह गैस भोजन के साथी छोटी आत में पास हो जाता है, पर स्टमक में बनने वाली गैस बहुत ही स्मॉल अमाउंट में होती है।

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जैसे ही फूड हमारे छोटी आत में पास होता है छोटी आत में बाइल जूस और पेनक्रिएटिक जूस इस भोजन के साथ मिलकर इस भोजन को छोटे-छोटे यूनिट्स में तोड़ना शुरू कर देते हैं, जैसे प्रोटीन को अमीनो एसिड में और फैट को फैटी एसिड में। लेकिन जब यह कार्बोहाइड्रेट को पचाने का प्रयास करते हैं तो कार्बोहाइड्रेट के कुछ पार्टिकल्स छोटी आत में पूरी तरीके से पच नहीं पाते हैं, इसलिए यह rapidily fermentable कार्बोहाइड्रेट वाटर के drag के साथ ही अब बड़ी आत में चला जाता है।

और बड़ी आत में जाने के साथ ही हमारे गट में गैस बनने का असली प्रोसेस शुरू होता है।

हमारे लार्ज इंटेस्टाइन में कुछ बैक्टीरिया होते हैं, जो कि हमारे हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक होते हैं, इन्हें हमारे शरीर में गुड बैक्टीरिया के नाम से जाना जाता है, यह बैक्टीरिया क्या करते हैं, जैसे ही स्मॉल इंटेस्टाइन से बड़ी आत में यह कार्बोहाइड्रेट आते हैं, यह इस कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंट करना शुरू कर देते हैं। ताकि यह बड़ी आत में ये absorb हो जाये और शरीर को हमारे खाए हुए भोजन से पूरी तरीके से पोषण मिल सके।

जब यह बैक्टीरिया इन कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंट करते हैं, तब यह गैस भी प्रोड्यूस करने लगता है। और यही वह मेजर गैस है, जिसे हम गैस के प्रॉब्लम के नाम से जानते हैं।

यह बैक्टीरिया हमारी हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होते हैं, यह विटामिन बी और विटामिन के का निर्माण हमारे कोलन में करते हैं।

जब बैक्टीरिया द्वारा प्रोड्यूस की हुई यही गैस हमारी बड़ी आत में बहुत ज्यादा मात्रा में हो जाती है, और खाए हुए भोजन से पानी भी हमारे बड़ी आत में इकट्ठा हो जाती है, तो यह हमारे बड़ी आत को फूला देते हैं, यही फुला हुआ बड़ी आत हमें पेट में दर्द सा महसूस करवाता है, हमें इरिटेशन सा महसूस होता है।

लार्ज इंटेस्टाइन में बनी हुई यही गैस हमारे इन anus से बाहर निकल जाती है, जिसे हम फ्लैट रिलायंस के नाम से जानते हैं या हिंदी में अपान वायु

और आमाशय में बनने वाली गैस डकार के थ्रू बाहर निकल जाती है।

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