सेरिबैलम क्या है और कैसे काम करता है – cerebellum in hindi

देखें जब आप सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर जाना चाहते हो, किसी फ्लोर पर या कहीं छत वगैरह पर तो इस process में क्या-क्या चीज involve होती है, सबसे पहले तो इसमें होता है कि हम अपने पैरों को बढ़ाकर एक एक स्टेप लेकर सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर की ओर जाते हैं। मान लीजिए कि हमारा पैर जब इस पॉइंट पर आता है, तब हमारे ब्रेन को यह बात पता होता है कि हमारा पैर अभी इस पॉइंट पर है। और पैर को हमें इस पॉइंट पर ले कर जाना है यह भी ब्रेन को पता होता है, तब ही तो हम ऊपर चढ़ पाएंगे। जब ब्रेन को यह दोनों ही पॉइंट भली-भांति प्रकार से पता हो जाता है, तब ब्रेन बिल्कुल smoothly हमारे एक्शन को एग्जीक्यूट करने में मदद करवाता है।

अब बाई चांस यह मान लो कि हमारा पैर अभी इस पॉइंट पर है, और ब्रेन को यह लगता है कि हमारा पैर इस पॉइंट पर नहीं बल्कि इस पॉइंट पर है, तो ब्रेन क्या करेगा, हमारे पैर को डायरेक्ट यहां पर ले आएगा सीढ़ी के इस दीवार के तरफ और हम लड़खड़ा कर गिर जाएंगे।

कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि जब भी हम कोई मूवमेंट करते हैं, तो हमारे ब्रेन को यह पता होना चाहिए कि हमारा शरीर का वह पर्टिकुलर ऑर्गन जिससे हम कोई एक्शन करेंगे, वह स्पेस में है कहां पर है। मतलब वह locate कहां पर है, और उस ऑर्गन को आखिर ले जाना कहां पर है। यह सब बातें अगर ब्रेन को पता चल जाएंगी तो ब्रेन बहुत ही स्मूथली इसको एक्जिक्यूट कर पाएगा।

यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि हमारे ब्रेन में एक ऐसा सिस्टम हो, जो हमारे शरीर के 1-1 अंग के पोजीशन को डिटेक्ट कर पाए, और हम अपने काम को अंजाम दे सकें… और हमारे ब्रेन में ऐसा ही एक बहुत ही जबरदस्त part है… जो आपकी एक्यूरेसी को बढ़ाता है, इसे जान गए तो आप कभी भी लड़खड़ाओगे नहीं, आपका शरीर हमेशा एक अच्छे Posture में बना रहेगा, जो आप हमेशा झुके रहते हो, उसको भी इसकी मदद से ठीक कर लोगे।

और उस brain part का नाम है, cerebellum जोकि लैटिन वर्ड है, इसका मतलब होता है लिटिल ब्रेन, हिंदी में इसे अनुमस्तिष्क या लघुमस्तिष्क कहते हैं। देखिए हमारे ब्रेन का सबसे बड़ा पार्ट होता है, cerebrum का और उसके बाद हमारे ब्रेन सेकंड लार्जेस्ट पार्ट होता है, यह cerebellum जो कि हमारे इस सेरेब्रम के पोस्टीरियर पार्ट के इनफीरियर क्रेनियल fossa में मौजूद होता है।

जैसे यह हमारा सेरेब्रम होता है, दो हेमिस्फीयर में बटा रहता है, लेफ्ट हेमिस्फीयर और राइट हेमिस्फीयर, ठीक वैसे ही हमारा cerebellum भी दो हेमिस्फीयर में बंटा रहता है, left hemisphere और right hemisphere और यह जुड़ा रहता है बीच में एक स्ट्रक्चर से जिसे vermis कहते हैं।

जैसे हमारा cerebrum कई सारे lobe में बंटा रहता हैं, frontal lobe, parietal lobe, temporal lobe और occipital lobe, ठीक वैसे ही हमारा cerebellum भी तीन lobe में बंटा रहता हैं, anterior lobe, posterior lobe, flocculonodular lobe.

देखिए इसके स्ट्रक्चर को ध्यान से देखिए, ऐसा लग रहा है कि इसके surface से कुछ फोल्डिंग्स बनी हुई है, इन foldings को कहा जाता है folia.

देखिए इन फोल्डिंग का काम क्या होता है, यह फोल्डिंग हमारे सेरेबेल्लुम के surface एरिया को बढ़ा देते हैं, जिससे होता यह है कि इसके अंदर ज्यादा से ज्यादा न्यूरॉन packed हो पाए, जैसे हमारे सेरेब्रम में होता है, sulcus और gyri

जब हम cerebellum यानी इसके hemisphere को काट के देखते हैं, तो हम पाते हैं कि इसके बीच में एक ट्री जैसी संरचना बनी रहती है, पेड़ की तरह और इसके कॉर्टेक्स यानी जो बाहरी वाला लेयर है, वह ग्रे मैटर से बना रहता है। बीच में यह व्हाइट मैटर से बना रहता है, और बिल्कुल कोर में भी इसके कुछ ग्रेमैटर के nuclie पाए जाते हैं, जिससे deep cerebellar nuclie कहते हैं.

देखिए यह हमारे ब्रेन का जो brainstem होता है, उस से जुड़ा रहता है, 3 peduncles के थ्रू यानी तीन डंठल जैसी संरचना के थ्रू, इस ब्रेन स्टेम से जुड़ा रहता है। इसी brainstem से peduncle के through input लेता हैं और output भी देता है।

देखिए अगर ये cerebellum डैमेज हो जाता है, तो व्यक्ति का मूवमेंट बिल्कुल फ्लूइड लाइक नहीं हो पाता, जैसे हम लोगों का होता है, बिल्कुल स्मूथली मूवमेंट करते हैं, बिना किसी गलती के। आपका cerebellum कितना ज्यादा मजबूत है, और कितना फ्लूइडली आप अपने movement को कर पाते हैं, आपको अगर ये चेक करना है, तो इसके लिए एक टेस्ट होता है, nose to finger test, जैसे अभी आप देख रहे हैं, व्यक्ति एक बार अपनी उंगली को नाक पर रखता है, फिर अपनी उंगली को बिल्कुल accuracy के साथ सामने वाले व्यक्ति के उंगली पर move कर रहा है, वहां पर ले जाना है। ऐसा करके आप अपने cerebellum को टेस्ट कर सकते हैं, वैसे यह टेस्ट होता है जब जब डॉक्टर किसी व्यक्ति के सेरेबेल्लुम की कंडीशन को चेक करता है, कि ये सही से काम कर रहा है या नहीं….

अब हमारा cerebellum काम कैसे करता है, इसके लिए इसे 3 तरीके से functionally divide किया गया है।
the cerebrocerebellum, जिसमें cerebellum इस सेरेब्रम के cortex के कोआर्डिनेशन के साथ हमारे मोटर इंपल्सेस को कंट्रोल करता है।

दूसरा है, the spinocerebellum जिसमें cerebellum हमारे स्पाइनल कॉर्ड के कॉन्बिनेशन के साथ, हमारे हमारे बॉडी के ऑर्गन खास तौर पर जो limbs होते हैं, जैसे हाथ पाव उनको स्पेस में locate करवाने में मदद करता है।

और तीसरा होता है the vestibulocerebellum इसमें क्या होता है कि हमारा cerebellum हमारे कान के अंदर मौजूद वेस्टीब्युलर सिस्टम जो कि हमारे posture और बैलेंस को मेंटेन करता है। उसके साथ मिलकर हमारे शरीर को बिल्कुल सही posture में रखता है, जिससे हम कोई काम सही से कर पाए।

अब चलिए एक-एक करके सब के बारे में जानते हैं…like

देखिए जैसे कि इसका नाम है, cerebrocerebellum मतलब इसमें हमारा सेरेब्रम का कॉर्टेक्स involve होता है, और हमारा cerebellum, देखिये होता क्या है कि जब भी हमारे शरीर को कोई भी काम करना होता है, जैसे हमें हाथ उठाना होता है, अपना पैर चलाना होता है, तो हमारे ब्रेन का सेरेब्रल कॉर्टेक्स हमें मोटर इंपल्स भेजता है, और तब हम अपने शरीर को movement दे पाते हैं।

लेकिन इसका क्या भरोसा कि जो मूवमेंट हो रहा है या होने वाला है, वह बिल्कुल smoothly होगा, उसमें थोड़ा सा भी कोई भी दिक्कत नहीं होगा। यही चेक करने के लिए हमारा cerebellum होता है, यह क्या करेगा यह सेरेब्रम के सेरेब्रल कोरटेक्स से और हमारे pons में मौजूद pontine nuclei से इनपुट लेगा।

यह चेक करने के लिए कि जो movement हम कर रहे हैं, वह सही कर रहे हैं कि नहीं…. अगर वह मूवमेंट सही नहीं होगा, मतलब वह काम सही से नहीं हो पा रहा होगा, हम चलने में लड़खड़ा रहे होंगे, या हाथ उठाने में हमें कोई दिक्कत हो रही होगी।

तो cerebellum ये डिटेक्ट करके अपना आउटपुट सिगनल thalamus और red nucleus को भेजेगा। thalamus इस सिग्नल को भेजेगा सेरेब्रल कॉर्टेक्स को, और सेरेब्रल कॉर्टेक्स अब स्मूद मूवमेंट के लिए मोटर इंपल्सेस भेजना शुरू करेगा, और हमें कोई भी दिक्कत नहीं आएगी, किसी भी तरीके के movement में…

Cerebellum के दोनों हेमिस्फीयर हैं, यानी जो उसके जो lateral side के भाग है, वहीं से कंट्रोल होता है हमारा cerebrocerebellum वाला पार्ट

Functionally cerebellum का दूसरा डिवीजन spinocerebellum होता है, उसमें क्या होता है कि हमारा यह cerebellum इनपुट लेता है, आंख से, कान से और हमारे शरीर में हमारी स्किन में जॉइंट में टेंडेंस में और nerves के end पर एक proprioceptor नाम का रिसेप्टर होता है, जिसका काम यह होता है कि यह हमारे मसल्स और joint का लोकेशन, हमारे बॉडी के रिलेशन में, कि वो कहां पर मौजूद है, यह सिग्नल दे देता है, हमारे cerebellum को। रेस्ट पोजीशन में हमारा जो मसल कॉन्ट्रैक्ट रहता है, जिसे मसल टोन कहते हैं, वह भी इसी की वजह से ही होता है.

अब ये क्या करता है, यह cerebellum यह हमारे proprioceptor से आए सिग्नल को, और हमारे आंख और कान से सिग्नल को इंटीग्रेट करके, हमारे बॉडी को बैलेंस करता है कि हम कभी लड़खड़ाए नहीं, और body बिल्कुल सही पोजीशन में बने रहे,

cerebellum का यह जो spinocerebellum पार्ट होता है, यह हमारे cerebellum के बिल्कुल बीच वाले vermis और उसके आसपास वाले एरिया से कंट्रोल होता है।

और जिसका तीसरा फंक्शनल डिवीजन होता है, vestibulocerebellum, यह हमारे cerebellum के फ्लोक्यूलोनोड्यूलर लोब में मौजूद होता है।  यह हमारे कान में मौजूद वेस्टीबुलम सिस्टम और cerebellum के कोआर्डिनेशन से फंक्शन करता है, देखिए कैसे यह हमारे आंख और हमारे कान से इंपल्सेस लेता है, और उनको इंटीग्रेट करके यह हमारे शरीर में जो हमारा हेड है, यानी जो हमारा पूरा सिर हमारा चेहरा है, इसको बैलेंस करता है, हमारे बाकी के बॉडी के अकॉर्डिंग। मतलब किस पोजीशन में हमारा हेड रहेगा, comfortably वह यही चीज तय करता है।

तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि cerebellum का काम होता है, हमारे शरीर को बैलेंस में रखना, हमारे posture को बनाए रखना, मसल्स टोन को रेगुलेट करना, दिमाग के बाकी part से कोआर्डिनेशन के साथ…





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