आज मैं आपको आप के जितने भी डर हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है, जैसे अगर आप छिपकली से डरते हो, आप सांप से डरते हो, या आप किसी भी चीज से डरते हो, उन सब चीज का आज मैं आपको कारण बताऊंगा, और यकीन मानिए यह जानकर आपको बहुत ज्यादा अच्छा लगेगा। आपका brain ऑटोमेटिकली इस वीडियो को लाइक करने पर मजबूर हो जाएगा। इसलिए कुछ भी हो जाए, यह वीडियो आज आप पूरा देखिएगा ही देखियेगा।
देखिए हमारे डर का मूल कारण, हमारे घबराहट या हमें किसी भी तरीके का जो stress होता है, जिसका कोई मतलब नहीं होता है, जैसे जब भी हम किसी की मृत्यु के बारे में सुन लेते हैं, तो हमें डर लगने लगता है, या कहीं भी हम कोई बहुत ही भयानक लड़ाई झगड़ा देखने से, बहुत ज्यादा खून खराबा हो, इन सब चीजों से जो हमें डर लगता है, इसका कारण हमारे ब्रेन का एक part होता है, एक almond यानी बादाम के shape का brain part, जिसे amygdala कहते हैं।
जब भी हमारे ब्रेन को इस तरीके का सेंसरी इनपुट मिलता है, या जब हम कोई भी ऐसी यादें आती हैं, जो हमें स्ट्रेस या डर जैसी चीजें को लाती है। जैसे हम कोई खून खराबा देख ले, कोई एक्सीडेंट देख ले, या हमें कोई बहुत ही पुरानी एक ऐसी याद आ जाए जो आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं है, वह सब चीजें जैसे ही हमारे ब्रेन को recall होता है, वैसे ही हमारे brain का amygdala एक्टिव हो जाता है। और हमें डर और घबराहट जैसी फीलिंग होने लगती है। एक बार बताएं, अगर आप अपने ब्रेन से इस amygdala को निकाल दोगे ना तो, आपको कभी भी फालतू का गुस्सा नहीं आएगा, फालतू का आपको डर नहीं लगेगा।
देखे ब्रेन में इसका लोकेशन होता कहां है, आप इसका सबसे पहले तो लोकेशन देख लीजिए, देखिए coronal section में अगर आप इसका लोकेशन देखना चाहेंगे तो, यहां पर यहां पर होता है amygdala.
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यह है हमारे brain का caudate nucleus, जिस के टेल पर यह बादाम के आकार का amygdala ही है, हालांकि यह caudate न्यूक्लियस से जुड़ा हुआ रहता है लेकिन इसका caudate न्यूक्लियस से कोई लेना देना नहीं होता है। यह हमारे ब्रेन के दोनों हेमिस्फीयर में एक-एक पाया जाता है।
देखिए amygdala कुछ नहीं बल्कि हमारे ब्रेन में ग्रे मैटर का mass ही होता है, और यह हमारे limbic सिस्टम का हिस्सा होता है, लिम्बिक सिस्टम वह, जो हमारे बिहेवियर और इमोशनल रिस्पांस को कंट्रोल करता है।
अब क्योंकि यह हमारे limbic सिस्टम का हिस्सा होता है, इसलिए यह हमारे ब्रेन के thalamus हिप्पोकेंपस और ब्रेन के septal एरिया से जुड़ा रहता है। देखें इन सब एरिया से जुड़े होने के कारण यह इन सब एरिया से इनपुट तो लेता ही रहता है, साथ ही साथ ये brain के कॉर्टेक्स रीजन से भी sensory इनपुट लेता ही रहता है।
ब्रेन का जो septal area होता है, वह हमें smell करने में मदद करता है, इसलिए जब हम कोई चीज सूंघते हैं, जिसका हमारे पुराने मेमोरी से कोई नाता हो और अगर वह नेगेटिव हो, तो तुरंत हमारा amygdala activate हो जाता है और हमें उससे संबंधित चीजों से या तो गुस्सा आने लगता है डर लगने लगता है या घबराहट होने लगती है।
क्योंकि यह कॉर्टेक्स रीजन से भी जुड़ा रहता है, इसलिए जब हम कोई अप्रिय घटना देख लेते हैं या कोई अपनी बात सुन लेते हैं, तब भी हमारा amygdala एक्टिव हो जाता है और हमें डर और भय जैसी चीजें लगना शुरू हो जाती है।
देखिए होता यह है कि amygdala से दो फाइबर के आउटपुट निकलते हैं, एक है stria terminalis जोकि caudate nucleua के path को फॉलो करते हुए hypothalamus से जुड़ जाता है, और दूसरा है ventral amygdalofugal फाइबर जो कि हाइपोथैलेमस वाले रीजन के ब्रेन स्टेम से जाकर जुड़ जाता है।
देखिए होता यह है कि ब्रिम्स्टोन से जुड़ने के कारण यह हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम का हिस्सा बन जाता है, जब भी हमें डर लगता है या हमे घबराहट होती है, तो हमारा हाइपोथैलेमस amygdala के कारण एक्टिवेट हो जाता है, और एड्रिनल gland को सिग्नल देता है, कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज करने के लिए, जो कि एक stress हार्मोन है। और क्योंकि हमारा यह amygdala ब्रेन स्टेम से जुड़ा रहता है, इसलिए डर लगने पर हमारा सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम भी एक्टिवेट हो जाता है, और डर लगने पर हमारा फ्लाइट और fight रिस्पांस भी एक्टिवेट हो जाता है।