दुनिया भर में 89% से ज्यादा लोग दाएं हाथ से ही अपने सारे महत्वपूर्ण काम करते हैं. 10% लोग अपने बाएं हाथ (left handed) को ही अपना सारा काम करने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
आंकड़ों से साफ है कि इस पूरी दुनिया में दाएं हाथ से ही काम करने वालों का बोलबाला है.
दाएं हाथ से लिखने वाले, खेलने वाले और किसी भी काम को करने वाले ज्यादा है.
दुनिया भर में, केवल 1% लोग ही हैं जो अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
किसी भी काम को करने के लिए. ऐसे लोगों को ambidextrous कहते हैं.
हमारे हाथ क्रॉस वायर्ड हैं दिमाग के साथ
लेकिन प्रश्न यह है कि किसी व्यक्ति में यह निश्चित कैसे होता है.
कि वह किसी काम को करने के लिए अपने कौन से हाथ को इस्तेमाल करेगा.
और क्या बाएं हाथ (left handed) से लिखना हमारे दिमाग के क्षमता पर असर डालता है?
क्योंकि हमारे दिमाग का दायां हिस्सा हमारे बाएं हाथ (left handed) से जुड़ा रहता है.
और हमारा बायां हाथ (left handed) हमारे दिमाग के दाएं हिस्से से.
आपको पता ही होगा कि दिमाग दो हिस्सों में बटा होता है. दायाँ गोलार्ध और बायाँ गोलार्ध.
दिमाग का हमारे हाथों के साथ इस तरह क्रॉस वायर्ड होना. यह बताता है अलग अलग हाथों को इस्तेमाल करना.
हमारे दिमाग के दाएं या बाएं को हेमिस्फीयर (Hemisphere) एक्टिव करता है.
दाएं हाथ को इस्तेमाल करना हमारे दिमाग के बाएं हिस्से को.
और बाएं हाथ (left handed) को इस्तेमाल करना हमारे दिमाग के दाएं हिस्से को एक्टिव करता है.
दिमाग का एक हिस्सा जमाता हैं प्रभुत्व
दरअसल हम इस्तेमाल तो अपने पूरे दिमाग का ही करते हैं.
पर हमारे काम करने की प्रक्रिया पर हमारे दिमाग का एक हिस्सा प्रभुत्व जमाता है.
ताकि हम अपने काम को बहुत ही आसानी से कर सकें. मानो ऐसे,
जैसे बॉस एक साइड बैठकर सब कुछ नियंत्रण कर रहा हो.
लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ब्रेन के एक साइड का ज्यादा प्रोसेस होने का मतलब है.
कि यह ये भी तय करेगा कि आप किस हाथ (handedness) से लिखोगे.
किसी भाषा को समझना हैं सबसे कठिन
किसी भाषा को समझना और लिखना बहुत ही कंपलेक्स प्रोसेस है.
1860 में फ्रेंच वैज्ञानिक पॉल ब्रोका (paul broca) ने बताया.
कि किसी भी भाषा को नियंत्रित करने वाला हिस्सा दिमाग का केवल एक ही भाग होता है.
जो कि होता है है मुख्यतः हमारे दिमाग के लेफ्ट हेमिस्फीयर में.
या कहिए दाएं हाथ से लिखने वाले 90% लोगों के बाएं गोलार्ध में.
और 70% बाएं हाथ (left handed) से लिखने वाले लोगों में लैंग्वेज प्रोसेस का एरिया,
लेफ्ट हैंड अफेयर ही रहता है. केवल 20% लोगों में लैंग्वेज दिमाग के दाएं हिस्से में प्रोसेस होता है.
यह सारी चीजें बताती हैं कि आप किस हाथ से अपना सारा काम करोगे.
यह ब्रेन के सारे फंक्शन का दिमाग की केवल एक साइड में ही शिफ्ट होने पर निर्भर नहीं करता.
और सही मायनों में आपको बताऊं तो वैज्ञानिक भी अभी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाए हैं.
दी गयी हैं कुछ थ्योरी
कुछ थ्योरी दी गई हैं इस विषय में कि कैसे किसी व्यक्ति का डोमिनेंट हैंड (dominant hand) निश्चित होता है.
जिसमें से एक ये है कि जब मनुष्य इवॉल्व हो रहा था,
तब एक खास प्रकार की म्युटेंट जीन (mutant gene) मनुष्य में डेवेलप हुआ,
जो कि मनुष्य में सारे काम करने वाले ब्रेन फंक्शंस को दिमाग में एक तरफ शिफ्ट कर दिया.
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अगर किसी मनुष्य में इस जीन की संख्या दो है तो उस मनुष्य में,
ब्रेन में किसी काम को करने वाले फंक्शंस के इंफॉर्मेशन लेफ्ट हेमिस्फीयर में शिफ्ट हो जाता है,
और अगर केवल एक ही जीन है तो ब्रेन फंक्शंस कम शिफ्ट होते हैं.
अगर यह जीन किसी मनुष्य में हो ही ना तो ब्रेन में जो इंफॉर्मेशन randomly किसी भी हेमिस्फीयर में शिफ्ट हो सकती है.
इस तरह दिमाग में फंक्शंस का एक तरफ शिफ्ट हो जाना हमारे डोमिनेंट हैंड (dominant hand) को निश्चित करता है.
मतलब बाएं हाथ (left handed) वालों में यह जीन संख्या में एक कम होता है.
लेकिन यह बस एक थ्योरी है, अभी इस पर पूरी तरीके से विश्वास नहीं किया जा सकता.
एक थ्योरी यह सजेस्ट करती है कि ब्रेन फंक्शंस का ब्रेन में एक तरफ शिफ्ट हो जाना यह होता है,
बचपन में हमारे ब्रेन और हाथों का एक दूसरे के साथ कोआर्डिनेशन से.
पर देखा गया हैं रचनात्मकता
पर जो भी हो बायें हाथ (left handed) से लिखने वालों में कुछ विशेषताएं तो देखी ही गई है,
दाएं हाथ वालों की तुलना में. इसलिए वो कुछ क्रिएटिव होते हैं.
उन्हें ADHD और Schizophrenia जैसे मानसिक बीमारी होने की शिकायत भी ज्यादा होती है.
अगर कोई व्यक्ति जन्म से ही दोनों हाथों से लिख पाने में सक्षम है,
तो उसके ब्रेन में कोई भी हेमिस्फीयर डोमिनेंट नहीं होता है,
जो उनमें कुछ साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर (psychological disorder) लीड करता है.
पर उन्हें समाज में काफी स्मार्ट और इंटेलिजेंट भी बनाता है.
जानकारी विडियो से लीजिये –
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